नया पोप कैसे चुना जाता है? क्या होती है इनकी धार्मिक जिम्मेदारी, उत्तराधिकारी के चयन में भारत की उपस्थिति कैसे है महत्वपूर्ण?

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By अभिनय आकाश | Apr 21, 2025

नया पोप कैसे चुना जाता है? क्या होती है इनकी धार्मिक जिम्मेदारी, उत्तराधिकारी के चयन में भारत की उपस्थिति कैसे है महत्वपूर्ण?

"प्रिय भाइयों और बहनों, मुझे बहुत दुख के साथ हमारे होली फादर फ्रांसिस की मृत्यु की घोषणा करनी पड़ रही है। आज सुबह 7:35 बजे, रोम के बिशप, फ्रांसिस हाउस ऑफ फादर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था। प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में उनके उदाहरण के लिए अपार कृतज्ञता के साथ, हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को एक और त्रिदेव ईश्वर के असीम दयालु प्रेम के लिए समर्पित करते हैं।" ये बात वेटिकन ने 21 अप्रैल की दोपहर पोप फ्रांसिस को लेकर कही। 

वैटिकन सिटी अपने आप में एक स्वायत्त देश के रूप में काम करता है। जैसे की ब्रिटेन में सॉवरेन कौन होगा किंग चार्ल्स तृतीय, भारत में सॉवरेन कौन है राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उसी प्रकार वेटिकन सिटी में पोप होते हैं। कैथेलिक ईसाइयो के बीच पोप का खासा महत्व है। ब्रिटानिका के मुताबिक पिछले तकरीबन 2 हजार सालों 260 से ज्यादा पोप बनाए गए हैं। पोप रोम के बिशप होते हैं और पूरे रोमन कैथेलिक चर्च का नेतृत्व करते हैं। हालांकि ठीक-ठीक ये बताना मुश्किल है कि अब तक कितने लोग इस पद पर रह चुके हैं क्योंकि इतिहास में कई बार ये पद विवादों में रहा है। कुछ समय तो ऐसा भी हुआ कि जब एक साथ दो या तीन पोप थे। एक को असली पोप माना जाता था जबकि बाकी को एंटी पोप कहा जाता था। एंटी पोप वो व्यक्ति होता है जो वैध रूप से चुने गए पोप के विरोध में रोमन कैथेलिक चर्च का नेता होने का दावा करता है। हालांकि कुछ अन्य ईसाई ग्रुप जैसे कि प्रोटेस्टेंट पोप की सत्ता को नहीं मानते हैं। लेकिन अब सवाल उठता है कि पोप कैसे चुने जाते हैं, वेटिकन सिटी क्या होती है। कौन बन सकता है पोप और पोप फ्रांसिस के निधन के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन हो सकता है? 

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सबसे पहले आपको वेटिकन सिटी के बारे में बताते हैं-

यूरोप महाद्वीप में स्थित यह विश्व का सबसे छोटा देश और स्वतंत्र राज्य है, जहा पोप का प्रशासन चलता है। यह इटली के शहर रोम के पास स्थित है। इसका क्षेत्रफल केवल 44 हेक्टेयर है। इसकी राजभाषा है लैटिन। ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च और उसके सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का निवास होने के कारण यह विश्व भर में जाना जाता है। यहां की जनसंख्या तकरीबन 800 है। सेंट पीटर गिरजाघर, वेटिकन बाग तथा कई अन्य गिरजाघर स्थित हैं। 1929 में एक संधि के अनुसार इसे स्वतंत्र देश स्वीकार किया गया।

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पोप कौन होते हैं और इनकी धार्मिक जिम्मेदारी क्या होती है?

पोप दुनिया के सबसे बड़े पुजारी की तरह हैं। वो रोम के बिशप हैं और वेटिकन सिटी यानी दुनिया की सबसे छोटी सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं। पोप दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मिक नेता भी होते हैं। पोप का चुनाव कार्डिनल नाम के एक विशेष समूह द्वारा किया जाता है। ईसा मसीह के बाद कैथलिक धर्म के सबसे बड़े पद को पोप कहा जाता है। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। पोप न सिर्फ़ दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं पोप के नियमित कामों में हर रविवार को वेटिकन पहुंचे दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संबोधित करना और उन्हें आशीर्वाद देना शामिल होता है। इसके लिए वो अपने अध्ययन कक्ष की उस खिड़की का इस्तेमाल करते हैं जहां से सेंट पीटर्स स्कवेयर का भव्य नज़ारा दिखता है। विदेश दौरे भी पोप की ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं। चर्च के क़ानून के तहत हर बिशप को रोम जाना ज़रूरी है ताकि वो बता सकें कि उनके डायोसिस में क्या हो रहा है।

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कौन बन सकता है पोप

पोप वैसे तो आजीवन पोप रहते हैं। लेकिन सेलेस्टीन पंचम और पोप बैनेडिक्ट ने स्वेच्छा से यह पद छोड़ा। पादरी क़ानून के अधीन त्यागपत्र की केवल एक शर्त है कि यह स्वेच्छा से दिया जाना चाहिए और उसे सही ढंग से प्रकाशित किया जाना चाहिए। कोई भी कैथलिक जिसका बपतिस्मा हो चुका हो वो पोप बन सकता है। ईसाईयत में बपतिस्मा जल के साथ किया जाने वाला एक धार्मिक रिवाज है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्यता प्रदान की जाती है। स्वयं ईसा मसीह का बपतिस्मा किया गया था। जब व्यक्ति बपतिस्मा लेता है तो सबको यह दिखाने की कोशिश की जाती हैं कि सचमुच यहोवा के दोस्त बनना चाहते हैं और उसकी सेवा करना चाहते हैं। चर्च के नियमों के अनुसार कोई महिला पोप नहीं बन सकती है। 

पोप के चुनाव की प्रक्रिया

पोप के चुनाव की प्रक्रिया बेहद गोपनीय और बेहद ही जटिल होती है। चर्च के नियमों के अनुसार पोप के चुनाव में कॉर्डिनल वोट करते हैं। 

नियमों के तहत 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही नए पोप के चुनाव में मत दे सकते हैं। इनकी संख्या 115 होती है। चुनाव वेटिकन सिटी में चैंबरलिन चर्च के मार्गदर्शन में सिस्टीन चैपेल में होता है।

किसी कार्डिनल को दो-तिहाई वोट मिलने तक मतदान होता है।

पोप बनने के लिए 77 कार्डिनल्स के वोट मिलने चाहिए। 

चुनाव में कागज के मत-पत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी गिनती भी हाथों से की जाती है। यह मतदान गुप्त होता है।

चुनाव के लिए तीन-तीन कार्डिनल्स के तीन समूह बनाए जाते हैं। पहला समूह स्क्रूटनियर्स बैलट गिनता है। दूसरा रिवाइजर दोबारा गिनती करता है। तीसरा समूह इन्फर्मी अन्य कॉर्डिनल्स से बैलट जमा करता है।

हर कार्डिनल दिन में चार बार वोट डालते हैं।

स्क्रूटनियर बैलट गिनकर दूसरी प्लेट में रखता है। वह यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्डिनल्स ने वोट दे दिए हैं।

हर बैलट से एक स्क्रूटनियर नाम नोट करके दूसरे को देता है। दूसरे का भी यही काम है। तीसरा स्क्रूटनियर हर नाम को जोर-जोर से कॉन्क्लेव में बोलता है और प्रत्येक मत को सुई की सहायता से एक धागे में पिरोता है।

हर चरण के मतदान के बाद मत-पत्रों पर विशेष रसायन डालकर भट्टी में डाला जाता है, जिसका काला या सफेद धुआ चिमनी से बाहर आता है। यदि चिमनी से काला धुआ निकलता है, तो इसका मतलब यह है कि चुनाव प्रक्त्रिया अभी चल रही है, निर्णय नहीं हुआ है। सफेद धुआ होने पर संकेत मिलता है कि पोप का चयन हो गया है।

नए पोप चुनने के बाद वे अपने नाम का चयन करते हैं।

नए पोप मिल गए की घोषणा के बाद नए पोप बैसिलिका की बालकनी में आते हैं।

बालकनी में पोप पहले से निर्धारित कपड़े पहन कर आते हैं। बाहर हजारों लोग उनकी एक झलक पाने को खड़े होते हैं।

पोप संसार भर के करीब एक अरब बीस करोड़ कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु होते हैं।

भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण

अगले पोप के चुनाव में दो भारतीय कार्डिनल्स को वोट देने का अधिकार होगा, जिससे इस महत्वपूर्ण निर्णय प्रक्रिया में भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण हो जाएगी। 79 वर्षीय कार्डिनल जॉर्ज एलेन्चेरी सायरो मलाबार कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्कबिशप हैं, जो भारत के सबसे बड़े कैथोलिक समुदायों में से एक है। हालांकि, उन्होंने 19 अप्रैल 2025 को 80 वर्ष के हो जाने के बाद अपना वोट देने का अधिकार खो दिया है। 51 वर्षीय कार्डिनल जॉर्ज कूवाकड को बीते दिसंबर में कार्डिनल्स के कॉलेज में नियुक्त किया गया था। एलेन्चेरी के विपरीत कूवाकड एक वेटिकन राजनयिक और इंटररिलिजियस डायलॉग के प्रमुख (प्रीफेक्ट) हैं, जो पोप के दौरे और वैश्विक धार्मिक नेताओं के साथ संबंधों की जिम्मेदारी निभाते हैं।

कौन हो सकता है उत्तराधिकारी

सबसे आगे चलने वाले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और वैचारिक दृष्टिकोण अलग-अलग हैं, इसलिए कॉन्क्लेव का अंतिम चुनाव चर्च की भविष्य की दिशा को बदल सकता है। 

कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन, इटली: 70 वर्षीय इतालवी कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन पोप फ्रांसिस के विदेश मंत्री हैं और वर्तमान में उनके उत्तराधिकारी बनने के लिए सबसे मजबूत दावेदार हैं। उन्हें 10 साल पहले अमेरिका-क्यूबा के बीच संबंधों में आई दरार और 2018 के वेटिकन-चीन समझौते में मध्यस्थता के लिए जाना जाता है। अमेरिकी कैथोलिक ने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए कार्डिनल निर्वाचकों को एक राजनयिक की आवश्यकता महसूस हो सकती है।

कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले, फिलीपींस: 67 वर्षीय फिलिपिनो कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले लंबे समय से वेटिकन पर नज़र रखने वालों एक प्रमुख पापबिली रहे हैं। अमेरिकी कैथोलिक ने कहा कि वह मीडिया-प्रेमी, करिश्माई और खुशमिजाज़ हैं। यदि वे निर्वाचित होते हैं, तो वे पहले एशियाई पोप होंगे और इतिहास में पहले कम से कम एड्रियन चतुर्थ के बाद सच्चे रूप से धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाले पोप होंगे। एड्रियन चतुर्थ हर्टफोर्डशायर में पैदा हुए थे और 1150 के दशक में इस पद पर थे।

कार्डिनल पीटर टर्कसन, घाना: बहुभाषी बाइबिल विद्वान 76 वर्षीय कार्डिनल पीटर टर्कसन को आकर्षक और मृदुभाषी बताया गया है और लंबे समय से उन्हें इस पद की दौड़ में अग्रणी रूप से बने हुए हैं। हालाँकि, समलैंगिकता, पारिस्थितिकी और सामाजिक न्याय पर उनके अपेक्षाकृत उदार विचारों ने उन्हें अपने ही देश घाना में कुछ साथी कार्डिनल्स और बिशपों के साथ मतभेद पैदा कर दिया था। 

कार्डिनल पीटर एर्डो, हंगरी: अमेरिकी कैथोलिक ने कहा कि पुरस्कार विजेता विद्वान और बुद्धिजीवी, 72 वर्षीय कार्डिनल पीटर एर्डो, वर्तमान पोप की तुलना में अधिक रूढ़िवादी हैं और उन्हें संभावित सर्वसम्मति से चुने जाने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है। उनका पालन-पोषण साम्यवादी शासन के तहत हुआ था। उनका परिवार 1956 में जब सोवियत सैनिकों ने उनके घर को जला दिया था।


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