Turkey की सत्ता में कैसे बरकरार हैं एर्दोआन, देश के भविष्य के लिए इसके क्या मायने हैं?

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 29, 2023

रजब तैयब एर्दोआन ने तुर्किये में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल केलिचडारोग्लू को हराकर पांच साल के एक और कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी की। यदि वह राष्ट्रपति के रूप में अपना पांच साल का लगातार तीसरा कार्यकाल पूरा करते हैं, तो वह 26 वर्ष तक सत्ता पर बने रहने वाले नेता बन जाएंगे। हैरान करने वाली बात यह है कि किसी लोकतांत्रिक देश में सरकार के गिरने का कारण मानी जाने वाली खराब होती अर्थव्यवस्था और आसमान छूती महंगाई के बावजूद तुर्किये में अधिकतर लोगों ने एर्दोआन को फिर से चुना। अब सवाल यह है कि एर्दोआन चुनाव कैसे जीते और भविष्य में देश में क्या हो सकता है?

देश में चुनाव स्वतंत्र तरीके से हुए। राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवार चुनने और प्रचार करने की स्वतंत्रता थी। इन दलों को हर चुनावी केंद्र में अपने प्रतिनिधि भेजने का भी अधिकार था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतगणना में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो। मतदाताओं को भी अपनी मर्जी से वोट देने का अधिकार था, लेकिन चुनाव निष्पक्ष नहीं थे। सबसे पहले, चुनावी दौड़ में प्रमुख संभावित प्रतिद्वंद्वी एकरेम इमामोग्लु को ‘‘सार्वजनिक हस्तियों का अपमान’’ करने के आरोप में दिसंबर में दो साल से अधिक कारावास की सजा सुनाई गई। इस्तांबुल के लोकप्रिय मेयर इमामोग्लु ने 2019 में इस्तांबुल के चुनाव में एर्दोआन के दल को हराया था।

कई सर्वेक्षणों ने दिखाया था कि वह राष्ट्रपति पद के चुनाव में एर्दोआन के खिलाफ आसानी से जीत सकते थे। कुछ लोगों का कहना है कि अदालत में दर्ज किया गया मामला राजनीति से प्रेरित था। इमामोग्लु के तस्वीर से बाहर होने पर विपक्ष को सभी संभावित हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों में से सबसे कमजोर केलिचडारोग्लू को समर्थन देना पड़ा। इसके अलावा एर्दोआन की पूरे देश के मीडिया पर अच्छी पकड़ है। एर्दोआन और उनके समर्थकों ने यह सुनिश्चित किया कि राष्ट्रपति को टेलीविजन पर सबसे अधिक कवरेज मिले। एर्दोआन को मीडिया में हवाई अड्डों, सड़कों और पुलों का निर्माण करके तुर्किये को आगे बढ़ाने वाले वैश्विक नेता के रूप में चित्रित किया गया।

उन्होंने टीवी पर दर्जनों पत्रकारों को साक्षात्कार दिया, लेकिन सारे सवाल पहले से तैयार करके रखे गए थे और एर्दोआन ने जवाबों को एक प्रोम्पटर के जरिए पढ़ा, जबकि विपक्षी उम्मीदवार केलिचडारोग्लू को टीवी पर बहुत कम कवरेज मिली और मीडिया ने उन्हें ऐसे नेता के रूप में चित्रित किया जो देश का शासन चालने के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके अलावा मतपेटियों संबंधी धोखाधड़ी की संभावना है। प्रत्येक मतपेटी की गिनती के बाद शहरों में पुलिस और क्षेत्रीय इलाकों में सेना मतपत्रों और परिणाम पत्रों को निर्वाचन आयोग तक पहुंचाती है। पुलिस और सेना पर एर्दोआन का कड़ा नियंत्रण है।

इसके बाद परिणाम केवल राज्य के स्वामित्व वाली ‘अनादोलु एजेंसी’ के माध्यम से सार्वजनिक किए जाते हैं, जबकि पहले कई स्वतंत्र एजेंसियां इनकी जानकारी देती थीं। एक और बात जो राष्ट्रपति के पक्ष में रही, वह यह थी कि दो सप्ताह पहले राष्ट्रपति पद के चुनाव के पहले दौर में तीसरे नंबर पर रहे सिनन ओगान ने एर्दोआन को अपना समर्थन दिया। एर्दोआन की जीत का एक और अहम कारण यह रहा कि एर्दोआन को रूढ़िवादी और धार्मिक मतदाता एक धार्मिक नायक और मसीहा के रूप में देखते हैं।

तुर्किये को सरकार बदलने की सख्त जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं होने पर अब सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक घुटन की स्थिति और भी बदतर होने की संभावना है। तुर्किये के संविधान के अनुसार, यह एर्दोआन का आखिरी कार्यकाल होगा, जो समय से पहले भी समाप्त हो सकता है। दरअसल, 69 वर्षीय राष्ट्रपति को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हैं और उन्हें अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही सत्ता अपने किसी सहायक को सौंपनी पड़ सकती है। दूसरी संभावना यह है कि उनकी पार्टी के संभावित नेता एर्दोआन का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही तख्तापलट करने का फैसला कर सकते हैं, ताकि वे 2028 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले जनता का समर्थन हासिल कर सकें। भले ही अभी के लिए चुनाव के बाद तुर्किये में कुछ राजनीतिक स्थिरता पैदा हो सकती है, लेकिन देश निकट भविष्य में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझता रहेगा।

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