चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना महामारी अब भारत समेत पूरी दुनिया में पैर पसार चुका है। इस महामारी से न केवल मौतें हुई बल्कि भारत को काफी आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ा। बता दें कि WHO ने आने वाले समय में कोरोना महामारी के और भी दुष्प्रभाव देखने को लेकर आगाह किया है। विकसित हो या अविकसित, अमीर हो या गरीब, सभी देश आज इससे प्रभावित हैं। हालांकि, सभी देश इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं - चिकित्सा आपूर्ति में कमी और इसके प्रसार को रोकने में कठिनाई के बावजूद भारत कोरोना महामारी जैसे चुनौतियों का डट कर सामना कर रही है। कोरोना और इससे जान बचाने के लिए प्रसार को रोकने के प्रयास में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से शुरू होने वाले 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के बाद, दुनिया भर के विकासशील देशों में कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है, हालांकि ये ऐसे देश हैं जहां स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और डॉक्टरों की बेहतर उपलब्धता है।वहीं भारत का स्वास्थ्य ढांचा आज इस संकट से निपटने में असमर्थ है। चिकित्सा आपूर्ति में कमी इस वक्त भारतीय चिकित्सा जगत के लिए प्रमुख मुद्दा हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी और राज्य सरकारें इस स्थिति से निपटने के लिए सुविधाओं का विस्तार करने की कोशिश कर रही हैं।
चुनौतियां
1.3 अरब आबादी वाले देश में कोरोना महामारी के कारण भारतीय चिकित्सा जगत पर तेजी से काफी बोझ पड़ा है। भारत में अब भी अस्पतालों की कमी, मरीजों के लिए वार्ड और बिस्तर की कमी है लेकिन उसके बावजूद भारत ने कोरोना से मरने वाले आकंड़ों में सुधार किया। पीएम मोदी द्वारा लगाए गए कड़े लॉकडाउन से भारत में इस समय कई देशों के मुकाबलें कोरोना वायरस के मामलों में कटौती देखने को मिली है। यहां तक की कोरोना वैक्सीन को लेकर भारतीय वैज्ञानिक कड़ी मेहनत कर रहे है। बता दें कि इस समय स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भारत को 195 देशों में 145वीं रैंकिंग हासिल है।
अस्पतालों में बेड की कमी
भारत में, अस्पतालों में बेड की उपलब्धता में एक बड़ी कमी है। सबसे कम विकसित राज्यों में से एक बिहार में प्रति हजार लोगों पर 0.12 बेड हैं। रघुराम राजन आयोग के अनुसार, भारत के सबसे गरीब राज्य, ओडिशा में प्रति हजार लोगों पर 0.38 बिस्तर हैं। भारत के पूर्वोत्तर भाग में, असम और मणिपुर में क्रमशः 0.32 और 0.48 बिस्तर हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए भारत में अब डॉक्टर घर में ही आइसोलेट होने की सलाह दे रहे है, जो अधिकांश भारतीयों के लिए आसान नहीं है। भारत में लगभग 77.9 प्रतिशत कर्मचारियों की संख्या स्व-नियोजित है।केंद्र सरकार द्वारा और लगभग हर राज्य सरकार द्वारा घोषित पैकेज हैं, लेकिन समर्थन की राशि अभी भी अपर्याप्त है।
पीपीई किट
भारत में स्वास्थय चुनौतियों के बावजूद केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 2.02 करोड़ एन95 मास्क और 1.18 करोड़ से अधिक पीपीई किट की आपूर्ति की। इसके अलावा विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को जुलाई महीनें में 11,300 ‘‘मेक इन इंडिया’’ वेंटिलेटरों की आपूर्ति की गई। इनमें से 6,154 वेंटिलेटर विभिन्न अस्पतालों में पहले से ही पहुंचाई गई। केंद्र सरकार इन वेंटिलेटरों को लगाने और चालू करने की कवायद भी सुनिश्चित कर रही है। इस मदद से भारत में कोविड-19 आईसीयू केंद्रों में वेंटिलेटरों की उपलब्धता में कमी को दूर करने में भी मदद मिली।
नए लैबों का पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोएडा, कोलकाता और मुंबई में आईसीएमआर की तीन नई लैबों का उद्घाटन किया। भारत ने कोरोना संकट में Hi-tech State of the Art टेस्टिंग फैसिलिटी की शुरुआत की, इससे पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में और ताकत मिली।कोरोना मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले, काफी संभली हुई स्थिति में है। देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु, बड़े-बड़े देशों के मुकाबले, काफी कम है। आइसोलेशन सेंटर हो, कोविड स्पेशल हॉस्पिटल हो, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रैकिंग से जुड़ा नेटवर्क हो, भारत ने बहुत ही तेज़ गति से अपनी क्षमताओं का विस्तार किया। भारतीय चिकित्सा जगत में भारी बोझ के बावजूद भारत में 11 हजार से ज्यादा कोविड फैसिलिटीज़ हैं, 11 लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड हैं।