By रेनू तिवारी | Aug 17, 2022
हमरे देश को कई नामों से पुकारा जाता है। कोई भारत कहता है तो तो कोई इंडिया लेकिन हमारे देश का सबसे पुराना नाम क्या आप जानते हैं? प्राचीन भारत का अध्ययन करते हुए हमने हमारे देश के कई नाम के बारे में पढा़ और सुना। भारत को इंडिया क्यों कहा गया और कैसे ये नाम पड़ा। इसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हमारे देश के नाम करम के बारे में....
सप्त सैंधव
हमारे देश का सबसे पुराना नाम सप्त सैंधव हैं। सप्त सिंधव अथवा 'सप्त सिन्धु' आर्य लोगों का प्रारम्भिक निवास स्थान माना जाता है। वेदों में गंगा, यमुना, सरस्वती, सतलुज, परुष्णी, मरुद्वधा और आर्जीकीया सात नदियों का उल्लेख है। सप्त सिंधव भारतवर्ष का उत्तर पश्चिमी भाग था। मान्यताओं के अनुसार यही सृष्टि का आरंभिक स्थल और आर्यों का आदि देश था।
आर्यव्रत
सप्त सिंधव के बाद धीरे-धीरे आर्य भारत के और हिस्सों में फैलने लगे। उनकी संस्कृति धीरे -धीरे करके एशिया महाद्वीप के अन्य हिस्सों में फैलने लगे। ब्राह्मण ग्रंथों में कुरु पांचाल देश आर्य संस्कृति का केंद्र माना गया है जहाँ अनेक यज्ञयागों के विधान से यह भूभाग "प्रजापति की नाभि" कहा जाता था। शतपथ ब्राह्मण का कथन है कि कुरु पांचाल की भाषा ही सर्वोत्तम तथा प्रामाणिक है। उपनिषद्काल में आर्यसभ्यता की प्रगति काशी तथा विदेह जनपदों तक फैली। फलत: पंजाब से मिथिला तक का विस्तृत भूभाग आर्यों का पवित्र निवास उपनिषदों में माना गया है। धर्मसूत्रों में आर्यावर्त की सीमा के विषय में बड़ा मतभेद है। लेकिन एक आधार पर कहा जाता है कि आर्य उत्तर में कश्मीर से उत्तरी राजस्थान तक फैले थे और पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पश्चिमी गंगा बैंक तक उन्हीं का शासन था।
भारत
अब बात करते है हमारे देश के भारत नाम की। हमेरे देश का नाम भारत कैसे पड़ा इसके पीछे अलग अलग धर्मों के अपने अपने दावे हैं। हिंदू धर्म के अनुसार महाभारत के काल में राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे, भरत के नाम पर भारत देश का नाम पड़ा। राजा भरत को भारत का सबसे पहला राजा माना जाता है। इसलिए कई इतिहासकार इस बात पर यकीन करते हैं कि भारत देश का नाम इस शक्तिशाली राजा के नाम पर पड़ा था। वहीं जैन धर्म की बात करें तो जैन धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभ देव के दो पुत्र थे गोमटेश्वर और भरत। ऋषभ देव के बेटे भरत के नाम पर हमारे देश का नाम बारत रखा गया।
जम्बूद्वीप
भारत को जम्बूद्वीप भी कहा जाता है। ऐसे इस लिए क्योंकि भारत के कुछ हिस्सों में जम्बू के पेड़ बहुत ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं। अशोक के शिलालेखों पर जम्बूद्वीप का उल्लेख हैं। अशोक के शिलालेखों को सबसे पहले 1837 में जेंम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। एक एक बहुत बड़े विदेशी इतिहासकार थे। अशोक के शिलालेश ब्रह्म लिपि और खरोष्ठी लिपि में खिले गये थे।
हिन्दुस्तान
भारत पर सबसे पहला विदेशी आक्रमण फारसियों ने किया था। उस समय इन्हें पारसी भी कहा जाता था। आज के समय में फारसी इरान के लोग ही हुआ करते थे। फारसियों के राजा दारा प्रथम जब भारत आये तब उन्होंने देखा ये पूरा देश सिंधू नदी के किनारे बसा हुआ हैं। हमारे देश की सबसे प्राचीन और मुख्य नदी सिंधू ही हैं। फारसियों ने सिंधू नदी के पास रहने वालों को सिंधू वासी कहना शुरु कर दिया था लेकिन फारसी भाषा में स शब्द नहीं बोला जाता हैं। वह 'स' की जगह 'ह' बोलते हैं। यही से उन्होंने सिंधू को हिंदू कहना शरू कर दिया। अब सिंधू का ही अपभ्रंश हिंदू बना और हिंदू से हिंदूस्तान बना। हिंदूस्तान नाम हमारे देश को इरानियों ने दिया था।
इंडिया
भारत और हिंदूस्तान नाम के अलावा हमारे देश को इंडिया कहा जाता हैं। हमारे देश पर दूसरा विदेशी आक्रमण ग्रीस यानी यूनानियों ने किया। यूनानी सिंधू नदी को इंडस कहते थे। इसी इंडस से ही भारत को इंडिया कहा जाने लगा। हिंदूस्तान और इंडिया दोनों ही नाम यूनान और फारसियों के द्वारा सिंधू नहीं के आधार पर ही रखे गये हैं। इन्हीं लोगों ने सिंधू नहीं के समीप रहने वाले लोगों को हिंदूस्तानी कहना शुरू किया।