By अभिनय आकाश | Apr 15, 2025
वक्त बीतने के साथ ब्यौरे धुंधले पड़ने लगते हैं। वक्त सबसे बड़ा मरहम है लेकिन एक जख्म है सांप्रदायिकता का जिसे कोई भी भर नहीं पा रहा। एक भीड़ है जो इस देश की छाती पर चढ़ गई है और दम घोंटने की भरसक कोशिश कर रही है। नफरत, हिंसा, विध्वंस और अराजकता इस भीड़ की डिक्शनरी में सिर्फ यही शब्द हैं। बीते 11 अप्रैल को ये उन्मादी भीड़ पश्चिम बंगाल में निकली। दुकाने लूटी, गाड़ियां जलाई, हत्याएं की। लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए और पुलिस प्रशासन भी मजबूर नजर आया। तीन दिन तक हिंसा का नंगा नाच चलता रहा और राजनीति भी बदस्तूर चलती रही। आज बात पश्चिम बंगाल में वक्फ बिल के खिलाफ शुरू हुए हिंसका विरोध प्रदर्शन की करेंगे। जिसने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया।
बंगाल के हिंदुओं के पलायन का सच
पश्चिम बंगाल के हिंसाग्रस्त मुर्शिदाबाद के धुलियान कस्बे में यूं तो वक्फ बिल का विरोध 8 अप्रैल से चल रहा था, लेकिन शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद अचानक माहौल बिगड़ा। करीब 150 लोगों ने मोहल्ले में हमला कर दिया। घरों-दुकानों में आग लगा दी। पुरुषों को पीटा। आंखों के सामने बेटियों की आबरू लूटने की कोशिश की। उन्होंने धमकी दी भाग जाओ, वरना मारे जाओगे। मैं बच्चों को लेकर भागी।' इतना कहते-कहते 51 साल की जानकी मंडल फूट-फूट कर रोने लगीं। वो अभी मालदा के वैष्णवनगर के एक स्कूल में शरण लिए हुए हैं। 40 हिंदू परिवार यहीं रुके हैं। कुछ यही कहानी शमशेरगंज में प्रसेनजीत दास ने बताई। मुर्शिदाबाद हिंसा में कुल 3 मौतें हुई हैं, इनमें प्रसेनजीत दास का चचेरा भाई हरगोविंद दास और भतीजा चंदन भी शामिल है। प्रसेनजीत ने बताया कि 18 अप्रैल की रात करीब 400 लोगों की भीड़ तलवारों और छुरियां लहराते मोहल्ले में घुसी। उन्होंने 25 से 30 घरों, होटलों, दुकानों में तोड़फोड़ की। आग लगा दी। भीड़ बहुत उग्र थी, इसलिए हम लोग उनसे लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
कश्मीर पैटर्न पर जुमे की नमाज के बाद पथराव
ऐसे में सवाल उठते हैं कि ममता बनर्जी एक प्रोटेस्ट को हैंडल नहीं कर पाती हैं। क्या ममता बनर्जी को मालूम नहीं था कि वक्फ एक्ट पास होने के बाद उनके राज्य में क्या होगा? एक बात को साफ है चाहे आप हिंदू हो मुसलमान या किसी और धर्म के अगर आप शांति पूर्वक प्रदर्शन नहीं कर सकते तो आपको प्रोटेस्ट करने का कोई अधिकार नहीं बनता है। बंगाल में भी कश्मीर पैटर्न दिखाया गया। कैसे शुक्रवार की नमाज होती है और फिर लोग बाहर आते हैं और पथराव शुरू हो जाता है। बीडीओ ऑफिस पर पथराव किया गया। अब इन्हें भला कौन समझाए कि बीडिओ ऑफिस पर पथराव करके क्या वक्फ एक्ट वापस हो जाएगा। रेलवे गेटवे पर अटैक और एक रिटेल चेन को लूटा गया। अब आप ही बताओ की रिटेल चेन और वक्फ कानून में क्या समानता है?
ममता ने बंगाल से खो दिया अपना कंट्रोल
तीन दशक तक पुराने लेफ्ट फ्रंट को ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल से कैसे उखाड़ फेका ये अपने आप में एक केस स्टडी है। लेकिन अब इतने साल बाद लग रहा है कि ममता बनर्जी के लिए बंगाल संभालना मुश्किल हो गया है। बीते एक हफ्ते से जो हिंसा का तांडव देखने को मिल रहा है, ममता बनर्जी उसे रोकने में नाकाबिल लग रही हैं। ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी राजनीति को समझते हुए जानते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही हैं। क्या ये कोई तुष्टीकरण है या फिर टीएमसी में इतना करप्शन ममता पश्चिम बंगाल पर अपना कंट्रोल खो दिया। लोगों का गुस्सा अब धीरे धीरे ममता बनर्जी की तरफ बढ़ रहा है। एक साल बंगाल के चुनाव में रह गया है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के जाने से पहले उनका भी एक साल जैसे हालात थे। वैसे ही वर्तमान के हालात होते नजर आ रहे हैं।
बाहर से लोग हिंसा करने आए?
हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाथ जोड़कर कहती हैं कि वायलेंस को बढ़ावा मत नहीं दीजिए। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से तनाव के बीच शांति बनाए रखने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अकेले पैदा होते हैं और अकेले मरते हैं तो लड़ाई क्यों? दंगे, युद्ध या अशांति क्यों? केंद्र का कानून है इसे हम अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे। अब ममता बनर्जी की पुलिस इस दंगे को रोकने की काबिलियत नहीं थी? टीएमसी का सीधा सा स्टैंड है कि ये दंगा हमने नहीं किया है, कैसे हो गया, ये बाहर से लोग आए हैं। टीएमसी के सपोर्टर्स वीडियो जारी कर नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे हैं कि बाहर से लोग आए हैं।
बीएसएफ की अतिरिक्त कंपनियां भेजी गई
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुर्शिदाबाद में बीएसएफ की अतिरिक्त कंपनियां भेजी गई हैं और आसपास के जिलों में भी इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी हैं। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की बात होनी शुरू हो गई है। अब अगर आप बेसिक लॉ एंड ऑर्डर भी अपने राज्य में मैनेज नहीं कर पाओगे तो विपक्ष को तो मौका मिलेगा ही। बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी कह रहे हैं कि हिंदू अब अपने देश में ही पलायन कर रहे हैं।