By अनन्या मिश्रा | Jan 10, 2025
खाटू श्याम का जन्मदिन
बता दें कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन को देव उठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। तो वहीं कुछ मान्यताओं के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर खाटू श्याम का अवतरण दिवस मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने खाटू श्याम को श्याम अवतार होने का वरदान दिया था।
बर्बरीक ऐसे बने खाटू श्याम
बर्बरीक की मां का नाम अहिलावती और पिता का नाम घटोत्कच था। जब बर्बरीक ने अपनी मां से महाभारत के युद्ध में जाने की इच्छा जाहिर की। मां अहिलावती से युद्ध में जाने की अनुमति मिलने के बाद उन्होंने पूछा कि मां मैं युद्ध में किसका साथ दूं। तब उनकी मां ने कहा कि तुम युद्ध में उसी का साथ देना, 'जो हार रहा हो, तुम उसी का सहारा बनो।'
फिर बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध में अपनी मां के वचन का पालन किया। लेकिन इस युद्ध में अर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण इसका अंत जानते थे। तब श्रीकृष्ण ने विचार किया कि कौरवों को हारते देख यदि बर्बरीक उनका साथ देने लगा, तो पांडवों को हार का सामना करना पड़ेगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और उन्होंने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया।
यह देख बर्बरीक ने सोचा कि कोई ब्राह्मण उनसे उनका शीश क्यों मांगेगा। तब बर्बरीक ने ब्राह्मण से उनके असली रूप के दर्शन की इच्छा जाहिर की। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को अपने विराट स्वरूप के दर्शन दिए। बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया और श्रीकृष्ण ने उनको खाटू श्याम नाम दिया। श्रीकृष्ण ने कहा कि कलियुग में बर्बरीक यानी खाटू श्याम को उनके नाम से पूजा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि जिस स्थान पर बर्बरीक का शीश रखा गया था, उसी स्थान पर आज भी खाटू श्याम विराजते हैं।