जब किसी व्यक्ति के कान से तरल पदार्थ निकलता है, तो उसे कान बहना या ओटेारिया कहा जाता है। वैसे तो यह समस्या छोटे शिशुओं व बच्चों में अधिक देखने को मिलती है, लेकिन किसी भी उम्र का व्यक्ति इससे प्रभावित हो सकता है। ज्यादातर कान से बहने वाला पदार्थ ईयरवैक्स होता है। यह एक तरल पदार्थ होता है जो शरीर में स्वाभाविक रूप से पैदा होता है। वहीं कई बार कान से ब्लड, पस या अन्य प्रकार का द्रव भी निकलता है। जो बताता है कि आपका ईयरडम चोटिल है या कान में इंफेक्शन हो गया है। इस स्थिति में चिकित्सीय देखभाल जरूरी है। वहीं अगर आपके कान से बहने वाला पदार्थ रक्त या पस नहीं है तो आप घरेलू उपचार की मदद से भी कान बहने की समस्या को खत्म कर सकते हैं−
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सेब का सिरका
सेब के सिरके में एंटी−माइक्रोबायल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो कान में संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणुओं को मारने में मदद करते हैं। इसके इस्तेमाल के लिए एक चम्मच सेब का सिरका लेकर उसमें एक चम्मच गर्म पानी मिलाएं। अब एक रूई के फाहे को इस मिश्रण में भिगोएं और अपने कानों में इसे रखें। ठीक उसी तरह, जिस तरह हम फोन की लीड को कान में लगाते हैं। अब आप लेट जाएं ताकि कॉटन बॉल में मौजूद मिश्रण आपके कान में चला जाए। अब कॉटन को हटाए और कान को सूखने दें।
नीम का तेल
नीम के तेल में एंटी−बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी−फंगल प्रॉपर्टीज होती हैं। यह प्रापर्टीज कानों में होने वाले इंफेक्शन व दर्द को दूर करने में सहायक है। इसके इस्तेमाल के लिए नीम के तेल की कुछ बूंदे प्रभावित कान में डालें। अब अपने कान को रूई की मदद से कवर करें और कुछ देर के लिए ऐसे ही रहें। इसके बाद आप रूई को कान से निकाल सकते हैं।
भाप
गर्म कपड़े से कानों में ली गई भाप उसे मॉइश्चर प्रदान करती है और कानों की कंजेशन को दूर करने में मदद करती है। आप इस उपचार को दिन में कई बार इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए पहले एक बर्तन में गर्म पानी डालें। अब इसमें कपड़ा डुबोएं और अतिरिक्त पानी निचोड़ें। अब इस कपड़े से अपने कान को कवर करें।
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लहसुन
कुछ अध्ययनों के अनुसार, लहसुन भी कान बहने की समस्या को दूर करता है। इसके लिए लहसुन की कली को नारियल तेल में डालकर गर्म करें। अब इसे ठंडा होने दें। उसके बाद डॉपर की मदद से इस तेल को कान में डालें और कुछ देर के लिए लेट जाएं ताकि कान तेल को अब्जार्ब कर सके।
मिताली जैन