By अभिनय आकाश | Sep 26, 2022
एनआईए और ईडी द्वारा देशभर में पीएफआई से जुडे स्थानों पर छापेमारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय चरमपंथी समूह पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। 22 सितंबर को 15 राज्यों में देशव्यापी कई छापेमारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 35 के तहत पहले से ही 42 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में इस्लामिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को शामिल करने की तैयारी में है। यूएपीए 1967 का प्रासंगिक खंड पढ़ता है कि एक संगठन को आतंकवाद में शामिल माना जाएगा यदि वह आतंकवाद के कृत्यों में भाग लेता है या उसमें भाग लेने के लिए आतंकवादियों को तैयार करता है, आतंकवाद को बढ़ावा देता है या प्रोत्साहित करता है या आतंकवाद में शामिल है।
अध्यक्ष ओएमए सलाम सहित 106 से अधिक पीएफआई संदिग्धों के साक्ष्य, खुफिया और प्रारंभिक पूछताछ के आधार पर, प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियां यूएपीए कानून के तहत तथाकथित सामाजिक-धार्मिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करने जा रही हैं। यह समझा जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार इस्लामिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करने से पहले पीएफआई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद एकत्र किए गए सबूतों और हिंसा की कानूनी जांच कर रहे हैं। एनआईए के अनुसार, संगठन अल कायदा, पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित वैश्विक जिहादी समूहों के लिए भारत में कट्टरपंथी भर्ती कर रहे थे।
पीएफआई संदिग्धों की न्यायिक रिमांड की मांग करते हुए एनआईए ने अपने आवेदन में जमानत का विरोध किया और तर्क दिया कि आरोपी फरार हो जाएंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी करेंगे क्योंकि वे अत्यधिक प्रभावशाली हैं जैसा कि उनकी गिरफ्तारी के बाद के नतीजों से देखा जा सकता है। एनआईए ने कहा कि जांच से पता चला है कि आरोपियों ने अपने गुप्त संचार के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया है। केंद्रीय एजेंसी ने बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए छापेमारी के दौरान जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों का फोरेंसिक विश्लेषण करने के लिए न्यायिक रिमांड की मांग की थी।