By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 16, 2021
मुंबई| महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को अपने पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि ‘हिंदुत्व’ को उन लोगों से खतरा है जो इसका इस्तेमाल सत्ता पाने के लिए करते हैं और उनके लिए सत्ता की भूख ‘‘नशे की लत’’ जैसी है।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को बाहरी लोगों से नहीं बल्कि ‘‘नव हिंदुओं’’ और इस विचारधारा का इस्तेमाल करके ‘‘सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ने वालों’ से खतरा है। उन्होंने कहा कि अब वे ‘‘फूट डालो और राज करो’’ की ब्रिटिश नीति को अपनाएंगे।
उन्होंने शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘शिवसेना को ऐसे मंसूबों से बचना चाहिए और मराठी लोगों और हिंदुओं की एकता के लिए काम करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और शिवसेना को निशाना बनाया जा रहा था क्योंकि उनकी पार्टी ने भाजपा से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सत्ता की भूख ‘‘नशे की लत’’ की तरह हो गयी है।
उन्होंने भाजपा को चुनौती भी दी कि वह राज्य की मौजूदा गठबंधन (शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा) सरकार को गिरा कर दिखाए। उन्होंने कहा कि भाजपा न तो वी डी सावरकर को समझ पाई है और न ही महात्मा गांधी को। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा पर गर्व है, लेकिन मुख्यमंत्री होने के नाते वह सभी नागरिकों के लिए समान भाव रखते हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के हालिया बयान कि सभी भारतीयों के पूर्वज समान हैं, का संदर्भ देते हुए ठाकरे ने सवाल किया, ‘‘क्या विपक्षी दलों और किसानों के पूर्वज दूसरे ग्रह से आए हैं? सत्ता के लिए संघर्ष सही नहीं है। सत्ता का नशा, नशे की लत की तरह है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नशे की लत में आप खुद और परिवार को बर्बाद करते हैं। लेकिन सत्ता की भूख दूसरों के परिवारों को बर्बाद करती है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम आपके साथ थे, तो अच्छे थे... ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का उपयोग ना करें। सामने से हमला करें। हमारी सरकार अस्थिर करने के तमाम प्रयासों के बावजूद अगले महीने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लेगी। मैं आपको उसे गिराने की चुनौती देता हूं।’’
ठाकरे ने स्वतंत्रता सेनानी वी डी सावरकर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी को लेकर उपजे विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर शुक्रवार को अपने पूर्व गठबंधन सहयोगी भाजपा की जमकर आलोचना की। राजनाथ सिंह ने हाल ही में यह दावा करके विवाद पैदा कर दिया था कि अंडमान की सेलुलर जेल में बंद रहने के दौरान महात्मा गांधी ने सावरकर को ब्रिटिश सरकार को दया याचिका भेजने की सलाह दी थी।