हिन्दुस्तानी भाऊ के वीडियो से छात्रों ने क्यों घेर लिया शिक्षा मंत्री का घर? क्यों प्रदर्शन कर रहे छात्र, सरकार का क्या कहना है?

By अभिनय आकाश | Feb 02, 2022

पेपर लीक, भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर छात्र सड़कों पर उतरते रहे हैं। महाराष्ट्र में दसवीं और बारहवीं के छात्र बीते दिनों सड़कों उतरते नजर आए। इन छात्रों को भड़काने के आरोप में विकास फाटक उर्फ हिन्दुस्तानी भाऊ को गिरफ्तार कर लिया गया है। हिन्दुस्तानी भाऊ के भड़काने पर बड़ी संख्या में छात्र नागपुर, नादेंड़ और मुंबई की सड़कों पर उतरे। पुलिस का आरोप है कि महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री के घर के बाहर छात्र हिन्दुस्तानी भाऊ के चलते ही एकट्ठा हुए। पुलिस को छात्रों को वहां से हटाने में मशक्कत का सामना करना पड़ा। ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला, कौन हैं हिन्दुस्तानी भाऊ और उनका पोस्ट किया गया वीडिया क्या वाकई में उकसावे वाला था?

सबसे पहले जानते हैं कि हिन्दुस्तानी भाऊ हैं कौन?

हिन्दुस्तानी भाऊ का असली नाम विकास फाटक है। वो बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त के वास्तव फिल्म के किरदार से ज्यादा प्रभावित हैं और उसी लुक में कई बार नजर आ चुके हैं। मुम्बई के सेंट एंड्रयूज हाई स्कूल प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। विकास फाटक ने 2013 में यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करना शुरू किया था, जिसमें अपशब्दों की भरमार होती है। लेकिन उनकी लोकप्रियता बिग बॉस के सीजन 13 में जाने के बाद और भी बढ़ गई। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यूट्यूब के साथ ही विकास फाटक मुंबई के एक स्थानीय अखबार दक्ष टाइम्स में रिपोर्टर के रूप में भी काम करते हैं। 

क्या है मामाला?

पुलिस के अनुसार हिन्दुस्तानी भाऊ ने छात्रों को भड़काते हुए एक वीडियो इंस्टाग्राम पर डाला। जिसमें कथित तौर पर उन्होंने छात्रों को महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के आवास के पास इकट्ठा होने के लिए कहा था। भारी तादाद में छात्र मंत्री के आवास के बाहर जमा हो गए थे, जिसके बाद पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज भी करनी पड़ी। पुलिस की तरफ से कहा गया कि छात्रों को उकसाने के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने दंगा, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और महाराष्ट्र संपत्ति के विरुपण अधिनियम जैसी विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की।

प्रदर्शनकारी छात्र क्या मांग कर रहे थे?

छात्रों ने सबसे पहले मुंबई के धारावी में महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के आवास के बाहर इकट्ठा होना शुरू किया। नागपुर और जलगांव जैसे स्थानों पर इसी तरह की सभाओं के बारे में जल्द ही खबरें सामने आने लगीं। कुछ जगहों पर भीड़ हिंसक हो गई। गौर करने वाली बात ये थी कि सूबे में प्रदर्शन कर रहे छात्रों में लड़कियां शामिल नहीं थीं। सभी प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया पर फाटक के फॉलोअर बताए जा रहे थे। छात्रों ने नारेबाजी की और मांग की कि बोर्ड परीक्षाएं या तो रद्द कर दी जाएं या ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित की जाएं। उनका कहना था कि महामारी की वजह से एकेडमिक बुरी तरह प्रभावित हुआ है, ऐसे में बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने में असमर्थ हैं। उन्होंने मांग की कि परीक्षा रद्द कर दी जाए या, चूंकि अधिकांश शैक्षणिक वर्ष ऑनलाइन व्यतीत हो गए हैं, इसलिए परीक्षा को भी ऑनलाइन स्थानांतरित कर दिया जाए।

क्या पोस्ट किया गया वीडियो उकसावे वाला था?

यह बताया गया है कि परीक्षा को रद्द करने की मांग करने वाले छात्रों के एक वर्ग के जोर-शोर से शिक्षा विभाग द्वारा लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया गया था। शैक्षणिक वर्ष के दौरान महाराष्ट्र राज्य बोर्ड परीक्षाओं के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी, खासकर जब अन्य बोर्डों ने महामारी संबंधी व्यवधानों को समायोजित करने के लिए अपना पैटर्न बदल दिया, और दो टर्म परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया। मुंबई के एक स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक जयवंत कुलकर्णी ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर की शुरुआत के साथ, ये चिंताएँ और चिंताएँ बढ़ गईं क्योंकि छात्रों ने महसूस किया कि अन्य बोर्डों के उनके समकक्षों ने पहले ही एक टर्म परीक्षा पूरी कर ली है। कुलकर्णी के अनुसार कुछ लोगों ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भ्रम का इस्तेमाल किया। कोचिंग क्लासेस टीचर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष बंदोपंत भुयार ने कहा सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह छात्रों की वास्तविक राय को समझने के लिए सक्रिय कदम उठाए जो पढ़ाई के बारे में गंभीर हैं।

कितने प्रतिशत छात्र प्रदर्शनकारियों की मांगों से सहमत हैं?

बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों की बड़ी संख्या की तुलना में  प्रदर्शनकारियों की संख्या नगण्य रही। यह मान लेना उचित है कि बोर्ड के लिए उपस्थित होने वाले अधिकांश छात्र परीक्षा आयोजित कराना चाहते हैं और इसे पारंपरिक ऑफ़लाइन मोड में आयोजित की जानी चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस से बात करने वाले कई छात्रों ने कहा कि वे जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में लौटना चाहेंगे और यह कि पेन-एंड-पेपर मोड परीक्षा के लिए सबसे स्वाभाविक और आरामदायक विकल्प है। दहिसर के एक छात्र शांतनु घाग ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि राज्य बोर्ड को केवल एक ऑफ़लाइन परीक्षा पर निर्भर रहने के बजाय, महामारी की स्थिति को देखते हुए मूल्यांकन के नए तरीके तैयार करने चाहिए थे; हालांकि, मुझे नहीं लगता कि परीक्षा रद्द करने से कोई फायदा होगा। हम में से कई लोग परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम कोविड की दूसरी लहर के कारण कक्षा 9 की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। अब यदि वे परीक्षा रद्द कर देते हैं और परिणाम घोषित करने के लिए पिछले वर्ष की तरह एक सूत्र का फिर से उपयोग किया जाता है, तो हम नुकसान में होंगे। पिछले साल (2020-21), राज्य बोर्ड ने परीक्षाओं को रद्द कर दिया, और एक सूत्र के आधार पर परिणाम घोषित किया, जो कक्षा 9 और 10 में एक छात्र के आंतरिक मूल्यांकन और शैक्षणिक प्रदर्शन को मिलाता है। 

ऑनलाइन मोड के खिलाफ क्यों शिक्षा विभाग?

महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (MSBSHSE) के अध्यक्ष शरद गोसावी ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती छात्रों की संख्या और उनकी स्थितियों में भारी अंतर है। महाराष्ट्र में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा के लिए 31.5 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। लगभग 70 प्रतिशत छात्र ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जिनमें कई आदिवासी क्षेत्रों से भी आते हैं। गोसावी ने कहा कि महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (MSCERT) द्वारा किए गए एक पायलट अध्ययन में ये पाया गया कि तीन में से मुश्किल से एक छात्र के पास मोबाइल डिवाइस था, और वह भी एक साझा डिवाइस हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रत्येक परीक्षार्थी के लिए स्मार्टफोन या कंप्यूटर का प्रावधान करना होगा, जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था। साथ ही, कई स्कूल ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी कमजोर या अनुपलब्ध है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में, विकल्पों पर चर्चा करने के लिए Google और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसे तकनीकी प्रदाताओं के साथ कई बैठकें हुई हैं, लेकिन संख्या और जनसांख्यिकी को देखते हुए, कोई समाधान नहीं निकला।

साथ ही प्रश्नपत्र तैयार करने में भी दिक्कत होती है। MSCERT के उप निदेशक विकास गरड ने कहा कि ऑनलाइन मोड में छात्रों के परीक्षण के लिए प्रश्नों के पैटर्न को बदलना एक बड़ी चुनौती होगी। MSBSHSE के आंकड़ों के अनुसार, कक्षा 10 में लगभग 70 और कक्षा 12 में 158 विषय हैं, जिन्हें शिक्षा के आठ माध्यमों में पढ़ाया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि कक्षा 10 के लिए 150 से अधिक और कक्षा 12 के लिए 350 से अधिक प्रश्न पत्र निर्धारित करने होंगे। प्रश्न पत्रों को सेट करने, उन्हें अप्रूवल के लिए भेजने, सुधार करने और उन्हें प्रिंट करने की प्रक्रिया में लगभग तीन महीने लगते हैं। यदि हम ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करना चाहते हैं, तो हमें उस पैटर्न की ओर बढ़ना होगा जिसके लिए हमें पहले शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

 प्रदर्शन के बाद शिक्षा विभाग की योजनाओं पर पड़ेगा कोई असर?

विरोध के बारे में बात की गई थी, लेकिन परीक्षा रद्द होने की संभावना नहीं है। परीक्षा आयोजित करने की तैयारी जारी है। स्कूल शिक्षा मंत्री गायकवाड़ ने कहा है कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों की चिंताओं पर चर्चा की जाएगी। गायकवाड़ का कहना है कि विरोध करने वाले छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर शिक्षा और प्रशासन के विशेषज्ञों द्वारा समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से चर्चा की जाएगी। लेकिन परीक्षा रद्द करना एक विकल्प नहीं हो सकता है। 

सभी स्टूडेंट्स से की अपील 

छात्रों को भड़काने के मामले में गिरफ्तार हिंदुस्तानी भाऊ ने सभी स्टूडेंट्स से एक अपील की है। उनके वकील अशोक मुले के मुताबिक भाऊ ने सभी छात्रों से यह कहा है कि जब तक मैं खुद कोई वीडियो जारी कर आंदोलन करने के लिए ना कहूं तब तक किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन या आंदोलन ना किया जाए। कुछ लोग मेरे नाम पर समाज में अराजकता फैलाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।  

-अभिनय आकाश

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