By अंकित सिंह | Aug 30, 2024
लोकसभा चुनाव के बाद से देखें तो भाजपा शासित राज्यों के तीन मुख्यमंत्री एक बार फिर से हिंदुत्व को लेकर काफी एग्रेसिव दिखाई दे रहे हैं। एक हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। वहीं दूसरे हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव। इसके अलावा अक्सर सुर्खियों में रहने वाले हिमंता बिस्वा सरमा भी लगातार हिंदुत्व की पिच पर तेजी से दौड़ रहे हैं। हाल के दिनों में हिमंता बिस्वा सरमा के बयान और काम कुछ ऐसे ही रहे हैं जिससे साफ तौर पर यह लगता है कि वह कहीं ना कहीं आक्रामक हिंदुत्व की राह पर उतर चुके हैं। हालांकि हिमंता बिस्वा सरमा के लिए हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनने का धुन आज से नहीं है। भाजपा में शामिल होने के साथ ही उन्होंने हार्डकोर हिंदुत्व की राह पकड़ ली थी।
मुसलमानों के खिलाफ लगातार उनके बयान, इसके साथ ही चाइल्ड मैरिज के नाम पर मुस्लिम शादियों में रुकावट डालने तथा जुम्मे की नमाज को लेकर जो फैसले हुए हैं, उसे साफ तौर पर पता चलता है कि हिमंता हिंदुत्व की राह पर तेजी से दौड़ रहे हैं। आज ही असम विधानसभा मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के अवकाश को खत्म करेगी। हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया कि 2 घंटे की जुम्मा छुट्टी को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और अवशेष को हटा दिया है। उन्होंने आगे लिखा कि यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों को मेरा आभार।
हिमंता बिस्वा सरमा ने बृहस्पतिवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनमें ‘‘मूलत: राज्य के निवासी हिंदू विधायकों’’ को विधानसभा में अपनी बात नहीं रखने देने की प्रवृत्ति विकसित हो गई है। असम भूमि एवं राजस्व विनियमन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान, शर्मा ने अपनी पार्टी के विधायक भुवन पेगू के भाषण को बाधित करने के लिए भी विपक्षी सदस्यों की कड़ी आलोचना की। शर्मा ने पेगू का बचाव करते हुए कहा, मूलत: राज्य के निवासी हिंदू विधायकों को सदन में नहीं बोलने देने की एक नयी प्रवृत्ति उत्पन्न हो गई है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। कृपया इतने आक्रामक न हों। हमारी जमीन के बाद अब विधानसभा पर कब्जा करने की कोशिश न करें। पेगू तत्कालीन पूर्वी बंगाल से असम में लोगों के कथित प्रवासन और आक्रामकता के बारे में पुराने विधानसभा रिकॉर्ड का उल्लेख करते हुए एक बयान दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, आप हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर बात करना बंद नहीं कर सकते। ये जीवन की कठोर वास्तविकताएं हैं।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह पक्षपात करेंगे और ‘मियां’ मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे। शर्मा नागांव में 14 साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर विपक्षी दलों के कार्य स्थगन प्रस्ताव के संबंध में विधानसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित रखा जाता तो अपराध की दर नहीं बढ़ती। शर्मा ने कहा, ‘‘बलात्कार का एक भी मामला स्वीकार्य नहीं है। फिर भी यदि पिछले कुछ साल में बलात्कार के मामलों की संख्या के साथ जनसंख्या वृद्धि पर ध्यान दिया जाए तो अपराध दर कम हो गई है। पिछले 10 साल में बहुत सुधार हुआ है।’’
जब विपक्षी विधायकों ने अपनी आवाज उठाई, तो मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘जब हम अल्पसंख्यकों के बारे में बात करते हैं तो आप नाराज क्यों होते हैं? क्या कांग्रेस ने यह घोषित कर दिया है कि उसे बहुसंख्यक समुदाय की जरूरत नहीं है?’’ शर्मा ने कांग्रेस और एआईयूडीएफ विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आपके बीच अल्पसंख्यक वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा है, मैं इस दौड़ में नहीं हूं।’’ जब विपक्ष ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया, तो शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘मैं पक्षपात करुंगा। आप क्या कर सकते है ?’’
असम विधानसभा ने मुस्लिमों के विवाह और तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण संबंधी एक विधेयक को बृहस्पतिवार को पारित किया। असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक अनिवार्य पंजीकरण विधेयक, 2024 राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने मंगलवार को पेश किया था। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि काजियों द्वारा किए गए सभी पूर्व पंजीकरण वैध रहेंगे और केवल नये विवाह ही कानून के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा, हम मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत इस्लामी रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। हमारी एकमात्र शर्त यह है कि इस्लाम द्वारा निषिद्ध शादियों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा। शर्मा ने कहा कि इस नये कानून के लागू होने से बाल विवाह पंजीकरण पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।