हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती मिडल मेरिट छात्रवृत्ति योजना से आएगा छात्रों की प्रतिभा में निखार

By विजयेन्दर शर्मा | Nov 28, 2021

 शिमला।  राज्य सरकार प्रदेश के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हिमाचल के छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं लागू की गई हैं। 

 

राज्य सरकार द्वारा 12वीं कक्षा के पश्चात राष्ट्र स्तरीय प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं के लिए कोचिंग उपलब्ध करवाने हेतू मेधावी विद्यार्थियों के लिए मेधा प्रोत्साहन योजना क्रियान्वित की जा रही है। इसी क्रम में छोटी उम्र में प्रतिभा को चिन्हित कर उभारने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय पाठशाला के विद्यार्थियों के लिए एक नई हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती मिडल मेरिट छात्रवृत्ति योजना लागू की जा रही है। 

 

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इस योजना के अन्तर्गत राजकीय विद्यालय के छठी से आठवीं कक्षा के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति उपलब्ध करवाई जा रही है। इस योजना के तहत लाभार्थियों का चयन एस.सी.ई.आर.टी. सोलन द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा।  योजना के तहत चयनित लाभार्थियों को कक्षा छठी में चार हजार रुपये प्रतिमाह, कक्षा सातवीं में पांच हजार रुपये प्रतिमाह तथा कक्षा आठवीं में छः हजार रुपये प्रतिमाह की दर से छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

 

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राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में राज्य भर में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले शीर्ष 100 विद्यार्थियों को, विभिन्न जिलों की औसत छात्र के आधार पर जिलावार आधार पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। योजना के तहत जिला बिलासपुर के पांच लाभार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी, जिला चम्बा के 12 विद्यार्थियों, जिला हमीरपुर के पांच विद्यार्थियों, जिला कांगड़ा के 14 विद्यार्थियों, जिला किन्नौर के एक विद्यार्थी, जिला कुल्लू के आठ विद्यार्थियों, जिला लाहौल-स्पीति के एक विद्यार्थी, जिला मंडी के 14 विद्यार्थियों, जिला ऊना के सात विद्यार्थियों तथा जिला शिमला, सिरमौर व सोलन प्रत्येक के 11-11 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

 

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इस योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए चयनित विद्यार्थी को निरंतर तीन वर्षों तक कक्षा आठवीं तक सरकारी पाठशाला में ही अध्ययनरत रहना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त संबंधित शैक्षणिक स्तर में उसे पाठशाला में कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति भी सुनिश्चित करनी होगी। केवल गंभीर चिकित्सीय कारणों की स्थिति में ही इस शर्त में छूट प्रदान की जाएगी।  


 

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