By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 04, 2018
कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ मंगलवार को देश के उच्चतम न्यायालय में सुनवाई शुरू हो गयी। सिरिसेना ने संसद भंग कर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाने के बाद तुरंत चुनाव कराने का आह्वान किया था, जिससे देश में बड़ा संवैधानिक संकट पैदा हो गया।
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सिरिसेना द्वारा 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद से ही श्रीलंका में राजनीतिक संकट बना हुआ है। बाद में सिरिसेना ने संसद का कार्यकाल खत्म होने के 20 महीना पहले ही उसे भंग कर दिया और तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के फैसले को पलट दिया और तुरंत चुनाव कराने की तैयारियों पर रोक लगा दी।
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शीर्ष अदालत ने मंगलवार सुबह सिरिसेना के संसद भंग करने के राजपत्रित अधिसूचना के खिलाफ दायर मौलिक अधिकार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। अदालत के अधिकारियों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी। अदालत ने 13 नवंबर को एक राजपत्रित अधिसूचना को रद्द करते हुए अंतरिम आदेश जारी किया था जिससे सिरिसेना का संसद भंग करने का आदेश अस्थायी रूप से अवैध हो गया। मामले पर सुनवाई बृहस्पतिवार तक चलेगी। सोमवार को अदालत ने राजपक्षे को बतौर प्रधानमंत्री कामकाज करने से रोक दिया था।