By अनुराग गुप्ता | Jul 29, 2021
चंडीगढ़। हरियाणा कैडर की एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा ने भगवान श्रीकृष्ण की चरणों में अपना जीवन व्यतीत करने की इच्छा प्रकट की है। इसके लिए उन्होंने हरियाणा सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति वीआरएस के लिए आवेदन किया है। जिस प्रकार भक्तिकाल की एकमात्र संत मीराबाई थी जिन्होंने कृष्ण को ही अपना जीवन मान लिया था और उनके प्रेम में खुद को समर्पित कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने तो कृष्ण को अपना पति तक मान लिया था और अब 21 सदी की आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा अपना जीवन कृष्ण की चरणों में अर्पित करना चाहती हैं।
आपको बता दें कि भारती अरोड़ा साल 2031 में रिटायर होने वाली थीं लेकिन उन्होंने 10 साल पहले ही वीआरएस लेने के लिए आवेदन दिया है और इसी के साथ ऐसा करने वाली वह हरियाणा की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार से तीन महीने के नोटिस पीरियड से भी छूट देने का अनुरोध किया है। फिलहाल उनके आवेदन पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारी भारती अरोड़ा को अपने पद पर बने रहने के लिए समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
1998 बैच की आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा वर्तमान में अंबाला रेंज की पुलिस महानिरीक्षक के रूप में कार्यरत हैं। भारती अरोड़ा ने 50 साल की उम्र में एक अगस्त से स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति की मांग की है। आपको बता दें कि भारती अरोड़ा ने अखिल भारतीय सेवा (डीसीआरबी) 1958 के नियम 16 (2) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में भारती अरोड़ा ने कहा कि मेरी सेवा मेरा गौरव और जुनून रही है। मुझे सेवा करने, सीखने और बढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए मैं बहुत आभारी हूं। मुझे सही रास्ता दिखाने के लिए हरियाणा राज्य का भी आभार। अब मैं जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती हूं।उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि मैं गुरु नानक देव, चैतन्य महाप्रभु, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई जैसे पवित्र संतों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहती हूं और अपना बचा हुआ जीवन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में समर्पित करना चाहती हूं। भारती अरोड़ा ने 7 सितंबर 1998 को एक आईपीएस अधिकारी के रूप में सेवा में शामिल हुई थीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस विभाग द्वारा जांच किए जाने के बाद राज्य सरकार उनके अनुरोध पर फैसला करेगी।