By Saheen khan | Oct 30, 2021
उत्तर प्रदेश। 14 वर्ष की उम्र में एक नवजात बच्चे को जन्म देने वाली मां की जिंदगी पर क्या गुज़र रही है, उससे बेहतर और कौन जान सकता है। उसकी इस जिंदगी को लाचार बनाने वाला रेपिस्ट आज खुले में घूम रहा है, लेकिन इस पीड़ित मां की हालत कोई नहीं समझना चाहता। शंकरगढ़ का एक मामला जहां, एक अधेड़ उम्र की शिकार हुई एक 14 साल की लड़की उसकी गंदी करतूतों का बोझ ढो रही है, और उस पीड़िता का सिस्टम तक साथ देने को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। दरअसल अपने नवजात बच्चे के साथ दो दिनों से कलक्ट्रेट में भटक रही ये नाबालिग मां की कोई फरियाद नहीं सुन रहा है। बालिका और साथ में आए पिता की आंखें इतनी नम हैं कि वे किसी को अपना दर्द खुलकर बयान भी नहीं कर सकते। लेकिन सरकारी सिस्टम पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। उसे एक के बाद एक आश्वासन दिया जा रहा है।
सरकारी सिस्टम पर असर नहीं
अमक उजाला की खबर के अनुसार, बालिका को दो दिन तक ठोकर खाने के बाद भी केवल आश्वासन मिला और सारी उम्मीदें अब फाइलों की रफ्तार पर टिक गईं हैं। बालिका और बच्चे का भविष्य क्या होगा इसे लेकर प्रशासनिक आश्वासन भी नहीं मिला। ऐसा पीड़िता के साथ तब हो रहा है जब उसे मुख्यमंत्री कार्यालय का पत्र भी मिल चुका है। इसके बावजूद उसकी मदद करने में इतनी ठिलाई बरती जा रही है।
कलक्ट्रेट परिसर में भटकती रही बालिका
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शंकरगढ़ की नाबालिग पीड़िता मां दो महीने के बच्चे के साथ बृहस्पतिवार को दिन भर कलक्ट्रेट परिसर में भटकती रही, लेकिन डीएम या और दूसरे बड़े अफसरो से मुलाकात नहीं हो पाई। शाम हो जाने पर कलक्ट्रेट के किसी कर्मचारी ने उनका आवेदन लिया, लेकिन इसके बाद किसी ने संपर्क नहीं किया। डीएम जनसुनवाई करके उठ न जाएं इसलिए बेटी को लिए पिता सुबह छह बजे ही शंकरगढ़ से चल दिए थे। दो दिन के लगातार प्रयास के बाद प्रयास वह डीएम से मिलने में सफल रहे। डीएम ने जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज कुमार मिश्रा को बुला लिया, लेकिन उन्हें आश्वासन ही मिला।
मामले पर अधिकारियों का कहना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीएम संजय कुमार खत्री ने मामले पर कहा है कि ‘बालिका को महिला सम्मान कोष से तहत मदद दी जाएगी। जिला प्रोबेशन अधिकारी को इसकी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया है। बालिका एवं नवजात की और किस तरह से मदद की जा सकती है इसे देखा जा रहा है।
55 वर्ष के अधेड़ ने दिया घटना को अंजाम
आपको बता दें कि 14 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार करने वाला व्यक्ति शंकरगढ़ गांव के 55 वर्षीय एक अधेड़ है जिसने बच्ची के साथ बालात्कार किया था। बालिका के पिता मजदूर हैं और जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते हैं। बालिका बकरी चराने गई थी और उसी दौरान गांव के ही अधेड़ ने उसके बलात्कार किया और इससे वो गर्भवती हो गई। पीड़िता के पिता के अनुसार आरोपी ने बालिका को जान से मारने की धमकी दी थी। इसलिए पीड़िता ने काफी दिनों तक इसकी जानकरी अपने परिवार वालों को नहीं दी। पिता का कहना है कि गर्भ के दिन पर दिन बढ़ने के बाद सच्चाई सामने आई। इस बाबत पूछने पर बालिका ने पूरी बात बताई।
आरोपी ने मामले को दबाने की, कोशिश की
इस सब के बाद आरोपी और उसके परिवार ने मामले के दबाने की कोशिश की। पीड़िता के पिता का कहना है कि समझौता कराने में पुलिस विभाग के अफसर भी शामिल रहे, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। काफी प्रयास के बाद जून में मुकदमा लिखा गया, जबकि तब तक गर्भ ठहरे हुए करीब पांच महीने बीत गए थे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, अधिक दिन का गर्भ होने की वजह से डॉक्टरों ने गर्भपात कराने से भी मना कर दिया और चार सितंबर को बेटे का जन्म हुआ।
सरकारी योजनाएं हैं लेकिन मदद नहीं
ऐसे मामलों को सर्वोपरी लेते हुए प्रशासन काम करता है लेकिन यहां सीएम पत्र मिलने के बाद भी काम नहीं हो रहा है। सरकार की अनगिनत योजनाएं है लेकिन इस नाबालिग के लिए केवल आशवासन दिया जा रहा है और बलात्कार की पीड़ित बालिका को अभी तक किसी तरह की राहत नहीं मिल पाई है। आपको बता दें कि महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से सम्मान कोष बनाया गया है। इसके तहत तीन लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा सकती है।