नाज है वतन को जांबाजों के बलिदान पर ! जानें तिरंगे में लिपटे सुरक्षाकर्मियों की पूरी कहानी

By अनुराग गुप्ता | May 04, 2020

कुपवाड़ा। जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को आतंकियों ने ग्रामीण परिवार को बंधक बना लिया था। जिन्हें बचाने के लिए मुठभेड़ शुरू हो गई और इस मुठभेड़ में हिन्दुस्तान के 5 लाल शहीद हो गए। मुठभेड़ में कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, लांस नायक दिनेश शर्मा, नायक राजेश कुमार और राज्य पुलिस के सब इंस्पेक्टर शकील काजी शहीद हो गए। हालांकि, जाते-जाते वतन के वीरों ने लश्कर-ए-तैयबा के कुख्यात कमांडर हैदर को उसके साथी के साथ ढेर कर दिया।

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शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा

शहीद होने वाले कर्नल आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। कर्नल आशुतोष शर्मा और उनकी टीम के जवान जांबाजी का परिचय देते हुए उस घर में घुसे जिसमें आतंकियों ने लोगों को बंधक बना रखा था। कर्नल के कुशल नेतृत्व और जवानों की जांबाजी के चलते ही बंधक बनाए गए लोगों को वहां से निकालने में सफलता मिली। हालांकि, जब ये लोग नागरिकों को घर से सकुशल बाहर निकाल कर खुद भी बाहर आ रहे थे तो छिपे हुए आतंकियों ने इन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

शनिवार शाम को बाहर घेराबंदी में तैनात टीम ने कर्नल आशुतोष की टीम से संपर्क करना चाहा तो संपर्क नहीं हो पाया। रेडियो सेट भी गोलाबारी में डैमेज हो गया था। अंधेरा हो गया था और तेज बारिश हो रही थी। जब किसी तरह संपर्क नहीं हुआ तो बाहर मौजूद टीम ने कर्नल आशुतोष के मोबाइल पर फोन किया। जिसे एक आतंकी ने उठाया और फोन उठाकर बोला- सलाम वालेकुम। कुछ देर बाद फिर फोन मिलाया तब भी आतंकी ने ही फोन उठाकर सलाम वालेकुम बोला। कर्नल आशुतोष शर्मा का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके घर पहुंचने की संभावना है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि शर्मा के परिवार में उनकी पत्नी पल्लवी शर्मा हैं। सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद कर्नल आशुतोष कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान में पहले भी कई बार बहादुरी दिखा चुके थे। उन्हें दो बार वीरता पदक मिल चुका था। कश्मीर घाटी में तैनात श्रेष्ठ कमांडिंग ऑफिसर्स में उनकी गिनती थी। 

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्नल की शहादत का नमन किया। शहीद कर्नल आशुतोष उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के परवाना गांव के रहने वाले थे। मुख्यमंत्री ने शहीद कर्नल के परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया और साथ ही परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया है।

शहीद मेजर अनुज सूद

हंदवाड़ा में शहीद होने वाले जांबाजों में एक नाम मेजर अनुज सूद का है। मेजर अनुज सूद ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के अधिकारी थे। सेना के इस जांबाज अधिकारी का नाता भारतीय सेना से पुराना रहा है। पिता सीके सूद सेना में ब्रिगेडियर रहे हैं। हरियाणा के पंचकूला के रहने वाले मेजर अनुज सेना के बहादुर जवानों में से थे। पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा के छात्र रहे अनुज सूद पढ़ाई में बेहद तेज रहे। पीपीएस में हर क्लास में मेजर अनुज सूद ने खुद को अव्वल साबित किया। 

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होनहार अनुज सूद का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में हो गया था, लेकिन उन्होंने आईआईटी की जगह एनडीए को चुना। एनडीए में मेजर सूद ने कीर्तिमान स्थापित किया। 6 बार वे अपने अनुशासन और इंटेलिजेंस के चलते अव्वल रहे। इन्फैंट्रीमैन होने के बावजूद उन्होंने आईआईएससी बेंगलुरु से एमटेक किया और डिस्टिंक्शन मार्क से टॉप किया। तीन-चार महीने पहले ही मेजर अनुज सूद की शादी हुई थी।

मेजर सूद क्रैबिज यूनिवर्सिटी का ऑफर भी ठुकरा चुके हैं। मेजर शूद की बहन भी आर्मी ऑफिसर हैं। उनका पूरा परिवार देश की सेवा को समर्पित हैं। शहीद मेजर शूद के पिता ब्रिगेडियर सूद ने कहा कि उसने सर्वोच्च बलिदान दिया है। यह उसकी ड्यूटी का हिस्सा था और इसी की ट्रेनिंग ही तो उसे दी गई थी। मुझे मेजर अनुज की पत्नी कि लिए दुख हो रहा है क्योंकि उनकी शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि लोगों की जिन्दगियों की हिफाजत करना ही मेजर की ड्यूटी थी।

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शहीद लांस नायक दिनेश सिंह

शहीद जवानों में उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले लांस नायक दिनेश सिंह भी थे। इसी महीने दिनेश को घर आना था लेकिन लॉकडाउन के कारण वह कश्मीर में ही रुक गए। दो दिन पहले ही अपने पिता से बातचीत में दिनेश ने जल्द घर लौटने का वादा किया था। अब लांस नायक दिनेश सिंह का पार्थिव शहीर तिरंगे में लिपटकर उनके घर जाएगा, जो कभी लौटकर वापस नहीं आने वाला।

शहीद लांस नायक दिनेश सिंह के पिता के अनुसार, वह 2015 में सेना में भर्ती हुए थे। दिनेश आखिरी बार पिछले साल दिसंबर में अपने घर आए थे। अब मई-जून में उन्हें घर आना था। 2 दिन पहले ही दिनेश की अपने पिता से फोन पर बात हुई थी। दिनेश ने अपने पिता से कहा था कि अभी कोरोना महामारी चल रही है इसलिए अभी घर नहीं आ सकते। जो जहां है, उसे वहीं रहने को कहा गया है। 

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लांस नायक दिनेश की शादी भी नहीं हुई थी। पिता गोधन सिंह और उनकी पत्नी यानि दिनेश की माता तुलसी देवी को जब बेटे की शहादत की खबर लगी तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दिनेश एकलौते बेटे थे। उनकी एक बहन है, जिसकी शादी कुछ साल पहले हो चुकी है। दिनेश की शादी के सपने उनके मां-बाप ने देखे थे, जिसको लेकर वे तैयारी में भी जुटे थे।

शहीद नायक राजेश कुमार

हंदवाड़ा में शहीद हुए नायक राजेश कुमार पंजाब के मानसा जिले के रहने वाले थे और 21 राष्ट्रीय राइफल्स से संबद्ध थे। देश नायक राजेश कुमार के शौर्य को भी सराह रहा है और इसके साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद नायक राजेश कुमार के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।

उन्होंने शहीद के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने की भी घोषणा की। इसमें 5 लाख मुआवजा और प्लॉट के लिए 5 लाख रुपये की मदद शामिल है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी बात कही। शहीद नायक राजेश कुमार का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गाँव पहुँचेगा। 

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सब इंस्पेक्टर शकील काजी शहीद

हंदवाड़ा में शहीद हुए जम्मू कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर शकील काजी 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए थे। साल 2006 में वह स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में शामिल हो गए। जम्मू कश्मीर पुलिस ने काउंटर टेरेरिज्म के लिए एसओजी बनाया था। एसओजी में रहते हुए काजी ने कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया।

वीरगति को प्राप्त हुए शकील काजी सीमा से सटे कुपवाड़ा के ट्राट गांव के रहने वाले थे। गांव में अपने वीर सपूत को आखिरी विदाई देना का इंतजार है।

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