By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 30, 2021
तोक्यो। चक्का फेंक के भारतीय एथलीट योगेश कथूनिया के लिये तोक्यो पैरालंपिक में जीते गये रजत पदक का महत्व स्वर्ण पदक जैसा है क्योंकि उन्होंने कोच के बिना अभ्यास किया था और एक साल से भी अधिक समय से कोचिंग के बिना पदक जीतने से वह बेहद खुश हैं। इस 24 वर्षीय एथलीट ने सोमवार को अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता। उन्होंने इसके बाद कहा, ‘‘यह शानदार है। रजत पदक जीतने से मुझे पेरिस 2024 में स्वर्ण पदक जीतने के लिये अधिक प्रेरणा मिली है।’’
कथूनिया ने कहा कि खेलों के लिये तैयारी करना मुश्किल था क्योंकि लॉकडाउन के कारण पिछले डेढ़ वर्ष में अधिकतर समय उन्हें अभ्यास की सुविधाएं नहीं मिल पायी थी। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 18 महीनों में तैयारियां करना काफी मुश्किल रहा। भारत में लॉकडाउन के कारण छह महीने प्रत्येक स्टेडियम बंद रहा। ’’ कथूनिया ने कहा, ‘‘जब मैं रोजाना स्टेडियम जाने लगा तो मुझे स्वयं ही अभ्यास करना पड़ा। मेरे पास तब कोच नहीं था और मैं अब भी कोच के बिना अभ्यास कर रहा हूं। यह शानदार है कि मैं कोच के बिना भी रजत पदक जीतने में सफल रहा।’’ उन्होंने कहा कि वह अगली बार स्वर्ण पदक जीतने के लिये कड़ी मेहनत करेंगे। कथूनिया ने कहा, ‘‘मैं कड़ी मेहनत करूंगा। मैं स्वर्ण पदक से केवल एक मीटर पीछे रहा लेकिन पेरिस में मैं विश्व रिकार्ड तोड़ने का प्रयास करूंगा। आज मेरा दिन नहीं था। मैं विश्व रिकार्ड तोड़ने के लिये पूरी तरह से तैयार था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया।