By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 11, 2022
हिन्दू पक्ष के स्पष्टीकरण पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने बताया कि उन्होंने अदालत से कहा है कि परिसर में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग नहीं करायी जा सकती। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा, हिन्दू पक्ष तोड़—फोड़ की बात कर रहा है, जिससे आकृति नष्ट हो सकती है। जबकि उच्चतम न्यायालय ने उसे संरक्षित रखने का आदेश दिया है। अगर कार्बन डेटिंग के नाम पर आकृति में तोड़ फोड़ की जाती है तो यह उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना होगी।’’ गौरतलब है कि सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर पिछली मई में हुई ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक लम्बा और ऊपर से गोल पत्थर मिला था।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है, जबकि मस्जिद इंतजामिया कमेटी का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फौव्वारे का हिस्सा है। उसकी दलील है कि मुगलकाल में बनी अनेक अन्य ऐसी मस्जिदें और दीगर इमारतें हैं जिनके वजूखाने में इसी तरह के फौव्वारे लगे हैं। बहरहाल, हिन्दू पक्ष ने जिला अदालत से कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच कराने की मांग की थी, ताकि यह पता लग सके कि वह पत्थर कितना पुराना है।