प्रदर्शन कर रहे किसानों का पसंदीदा स्थान बना गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल

By अंकित सिंह | Dec 22, 2020

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। किसान लगभग 1 महीने से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर पर जमे हुए हैं। उनका दावा है कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वह इसी तरीके से डटे रहेंगे। सिंधु सीमा से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल। इस स्मारक परिसर को साल 2011 में जनता के लिए खोला गया थाष अब यह स्मारक पंजाब से आए किसानों के लिए पसंदीदा स्थान बन गया है जहां वे धूप सेकने और फोटो खिंचवाने पहुंच रहे हैं। यहां उपस्थित अधिकारी की माने तो उनका दावा है कि पहले मुश्किल से ही 1 दिन में 100 लोग यहां आते थे लेकिन जब से किसानों का प्रदर्शन शुरू हुआ है तब से यहां रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रवेश द्वार पर लंगर स्थापित होने के बाद 29 नवंबर से प्रवेश टिकट को बंद कर दिया गया है।

 

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एक अन्य अधिकारी ने बताया कि जब से निशुल्क प्रवेश की इजाजत दी गई है तब से हमने आगंतुकों की संख्या का रिकॉर्ड नहीं रखा है लेकिन किसान यहां अब दिन और रात दोनों समय आ रहे हैं। करीब 11.9 एकड़ में फैले यह परिसर सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल है। गुरु तेग बहादुर का जन्म में 1621 में हुआ था और 1675 में दिल्ली में वे शहीद हुए थे। लुधियाना के जाकड़ गांव से आए 10 से ज्यादा किसानों ने सोमवार को स्मारक का दौरा किया। एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि पिछले 20 दिनों से अधिक समय से वह यहां सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं लेकिन यहां के बारे में उन्हें आज ही पता चला है। उन्होंने कहा कि यहां के शांति उन्हें पसंद आई।

 

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किसानों ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने मानव अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और मुगलों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध करते हुए शहीद हो गए। हम इसी तरह अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान इतिहास रच रहे हैं और यह सब हमारे गुरु के स्मारक के करीब हो रहा है। पंजाब के एक अन्य युवा किसान ने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ यहां आया था। उसने यहां आकर खूब तस्वीरें ली और धूप का भी आनंद लिया। किसानों के लिए भी परिसर में कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं जिनमें शौचालय और मोबाइल शौचालय भी शामिल है।

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