By अनन्या मिश्रा | Jul 03, 2023
शास्त्रों में वर्णित है कि बिना गुरु के हम भगवान को नहीं पा सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों में गुरु की महिमा का कई तरह से वर्णन किया गया है। वहीं हर साल गुरु के सम्मान में आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पर्व भी मनाया जाता है। जिसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। बता दें कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था और गुरु पूर्णिमा से महात्मा बुद्ध का भी खास संबंध है। इस साल आज यानी की 3 जुलाई 2023 को गुरु पूर्णिमा यानी की जिसे व्यास पूर्णिमा कहते हैं, मनाई जा रही है।
शुभ मुहूर्त
व्यास पूर्णिमा पर गुरु पूजन का शुभ समय सुबह 05:27 मिनट से 07:12 मिनट तक है। इसके सुबह 08:56 मिनट से सुबह 10:41 मिनट तक है। फिर दोपहर 02:10 मिनट से 03:54 मिनट तक शुभ मुहूर्त है।
गुरु पूर्णिमा से बुद्ध का खास संबंध
बौद्ध धर्म के अनुयायी गौतम बुद्ध के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार, गौतम बुद्ध ने गुरु पूर्णिमा के दिन ही उत्तर प्रदेश के सारनाथ पर उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था।
ऐसे करें पूजन
इस दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें या फिर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ कर गंगाजल से छिड़ककर साफ कर लें। इसके बाद त्रिदेव यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश का पूजन करें। फिर महर्षि वेदव्यास जी की पूजा-अर्चना करें। इस दिन गुरु का आशीर्वाद लें। वहीं गुरु की पूजा न कर पाने की स्थिति में पूजा स्थान पर अपने गुरु की तस्वीर या उनकी पादुका रखें। इसके साथ ही 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स गुरवे नमः' मंत्र का जाप करें। वहीं अपने सामर्थ अनुसार, गरीबों व जरूरतमंद लोगों को पीले रंग की वस्तु या फिर को शिक्षा संबंधी सामग्री दान करें।
वेद व्यास पूर्णिमा का महत्व
बता दें कि महर्षि व्यास वेदों के प्रथम उपदेशक और महाकाव्य महाभारत के लेखक थे। जिसके कारण उन्हें वेद व्यास नाम से संबोधित किया गया था। महर्षि वेद व्यास को मानवता का पहला व महान गुरु माना जाता है। उन्हीं के कारण लोगों को वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, करीब 3000 साल पहले आषाढ़ पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वह बहुत बड़े विद्वान थे। वह महर्षि प्राशर और देवी सत्यवती के पुत्र थे। महर्षि वेद व्यास के प्रभाव से ध्रतराष्ट्र के 100 पुत्र कौरवों का जन्म हुआ था।