By अनुराग गुप्ता | Dec 20, 2021
जम्मू-कश्मीर में गुर्जर बकरवाल समुदाय के लोगों ने श्रीनगर में गैर-एसटी को एसटी श्रेणी में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया। गुर्जर बकरवाल समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार हमारे 10 फीसदी आरक्षण में किसी और को हिस्सेदार न बनाए। लेकिन हम दूसरे भाईयों के खिलाफ नहीं हैं। श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर गुर्जर बकरवाल युवा कल्याण सम्मेलन के बैनर तले समुदाय के नेता, युवा और महिलाओं ने अपना विरोध दर्ज कराया।
आपको बता दें कि गुर्जर बकरवाल समुदाय को साल 1991 में एसटी श्रेणी का दर्जा मिला था। लेकिन केंद्रशासित प्रदेश में अफवाह फैली कि गुर्जर बकरवाल समुदाय के हिस्से से दूसरे समुदाय के लोगों को भी हिस्सेदारी दी जा सकती है। ऐसे में गुर्जर बकरवाल समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर गुर्जर बकरवाल युवा कल्याण सम्मेलन (जेकेजीबीवाईडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष जाहिद परवाज चौधरी ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा सम्मेलन कर रही है, पहाड़ी लोगों से मिल रही है और वादा कर रही है कि उन्हें एसटी वर्ग में शामिल किया जाएगा। चौधरी ने कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है जबकि हमारे समुदाय को हाशिए पर रखा जा रहा है। इस विरोध के माध्यम से हम सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि हम इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। अगर वे गैर-एसटी लोगों के लिए कोटा बढ़ाना चाहते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन उन्हें हमारे खर्च पर ऐसा नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों के लोग सम्मेलन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे गैर-एसटी लोगों को हमारी 10 प्रतिशत आरक्षण श्रेणी में जोड़ देंगे। यह कदम हमारी पहचान और हमारे अवसरों को भी खत्म कर देगा।
जम्मू श्रीनगर राष्ट्रमार्ग पर जगह-जगह बकरवाल समुदाय के लोग अपने समान और मवेशियों के साथ चलते हुए दिखाई दे जाएंगे। कश्मीरी बोलने वाले विद्वानों ने काफी वक्त पहले इन लोगों को गुर्जर-बकरवाल नाम दिया था। बड़ी संख्या में यह लोग भेड़-बकरी चलाने का काम किया करते हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में गुर्जर बकरवाल की कुल आबादी 12 लाख के आसपास है जो कुल जनसंख्या की 11 फीसदी है।
मोटा-मोटी देखा जाए तो बकरवाल भी गुर्जर समुदाय में ही आते हैं लेकिन ये बाकियों की तुलना में थोड़े मजबूत होते हैं। इतना ही नहीं गुर्जर और बकरवाल समुदाय के लोगों ने सेना की आंख और कान का भी काम किया है। अधिकतर समय अपना ठिकाना बदलने वाले यह लोग सेना को दुश्मनों की हरकतों की भी जानकारी देते रहते हैं।