By रेनू तिवारी | Sep 18, 2020
नयी दिल्ली। सम्पूर्णन सिंह कालरा का जन्म 18 अगस्त 1934 हुआ था, जिन्हें पेशेवर रूप से गुलज़ार के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय गीतकार, कवि, लेखक, पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत संगीत निर्देशक एस.डी. बर्मन 1963 की फ़िल्म बंदिनी में एक गीतकार के रूप में और आर. डी. बर्मन, सलिल चौधरी, विशाल भारद्वाज और ए आर रहमान सहित कई संगीत निर्देशकों के साथ काम किया।
उन्हें 2004 में पद्म भूषण, भारत में तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार और दादा साहब फाल्के पुरस्कार- भारतीय सिनेमा में सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई भारतीय राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, 21 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, एक अकादमी पुरस्कार और एक ग्रैमी पुरस्कार जीते हैं। गुलज़ार कविता, संवाद और स्क्रिप्ट भी लिखते हैं। उन्होंने 1970 के दशक के दौरान औंधी और मौसम और 1980 के दशक में टीवी श्रृंखला मिर्जा गालिब जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। उन्होंने 1993 में कीदार का निर्देशन भी किया था।
गीतकार, लेखक व निर्देशक गुलजार अपनी आने वाली किताब में भारतीय सिनेमा, कला और साहित्य की दुनिया की दिग्गज हस्तियों से अपनी मुलाकातों के बारे में बताएंगे। इस किताब में वह सत्यजीत रे से लेकर आर डी बर्मन और किशोर कुमार से लेकर पंडित भीमसेन जोशी जैसी हस्तियों से रूबरू होने के किस्से को पाठकों के साथ साझा करेंगे। इसकी घोषणा प्रकाशन समूह पेंग्विन रेंडम हाउस इंडिया ने बृहस्पतिवार को की।
समूह ने बताया कि अभी अस्थायी तौर पर इस किताब का नाम, एक्चुअली...आई मेट देम: ए मेमॉयर है। इस किताब का प्रकाशन हैमिश हैमिल्टन इम्प्रिंट के तहत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किताब पाठकों को मशहूर बिमल रॉय, रित्विक घटक, ऋषिकेश मुखर्जी और महाश्वेती जैसी हस्तियों के दिलोदिमाग के बारे में गुलजार के चश्मे से झांकने का मौका देगी। वह इन लोगों के साथ काम करने के अपने अनुभवों और अपनी यादों को साझा करेंगे।
गुलजार ने कहा, यादें वास्तव में कभी मिटती नहीं है, यह कहीं चेतन और अवचेतन में चलती रहती हैं। कभी-कभी वहां गोते लगा लेने का अनुभव अच्छा होता है। कुछ अच्छे पलों को याद करें और फिर से संजो लें। मैं महान लोगों के समय में पैदा होकर खुद को भाग्यशाली मानता हूं, और यह मेरा सौभाग्य ही था कि मैं उन लोगों से मिला। उनमें से कुछ के साथ काम करने का मौका मिला। उनमें से कुछ मेरेगुरु, दोस्त और सहकर्मी थे। इस किताब में दुर्लभ तस्वीरों के साथ-साथ फिल्मनिर्माताओं, लेखकों, कवियों, संगीतकारों, गायकों और कलाकरों पर अध्याय होंगे।