भारतवर्ष में टैक्स सुधार की दिशा में जीएसटी एक बड़ा कदम माना गया। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, यानी वस्तु एवं सेवा कर, अपने आप में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम था और पूरे देश में एक समान टैक्स की व्यवस्था करने में इसकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके पहले कई तरह के टैक्सेज थे, जो अलग-अलग जगहों पर लगते थे और उसकी वजह से लालफीताशाही भी खूब फलती फूलती थी।
पर अब वक्त बदल गया है!
साथ ही जीएसटी आने के बाद अब ऐसे प्रोफेशनल्स की भी भारी डिमांड हो चुकी है, जो इन कोर्सेज में विशेषज्ञ हों, जो समझ सकें और समझा सकें कि कस्टमर के लिए क्या बेहतर है और क्या लाभकारी नहीं है, खासकर टैक्स के मामले में!
29 मार्च 2017 को यह एक्ट हमारी पार्लियामेंट से पास हुआ, तो 1 जुलाई 2017 से यह पूरे देश में लागू कर दिया गया। छोटे व्यापारियों के लिए यह काफी बेहतर माना गया, क्योंकि तमाम सरकारी फॉर्मेलिटी और परमिशन लेने के प्रोसेसेस इसमें काफी कम किए गए हैं। साथ ही लॉजिस्टिक भी इससे आसान ही हुआ है, तो असंगठित क्षेत्र भी रेगुलेट होने की दिशा में मजबूती से बढ़ चला है। ऐसे में क्या आप भी इस फील्ड के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं?
आइए देखते हैं इसकी डिटेल्स, लेकिन उससे पहले आप जान लें कि जीएसटी में मुख्य रूप से कौन-कौन से काम शामिल किए जाते हैं।
जीएसटी ट्रांजैक्शंस का रजिस्ट्रेशन इसमें सबसे पहले आता है। जी हां! इस कार्य में अगर 20 लाख से अधिक आपका टर्नओवर है तो आप एक टैक्सेबल सिटीजन के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने के योग्य हो जाते हैं। ध्यान रहे, अगर इस लिमिट पर आप नहीं कराते हैं, तो फिर आप पर पेनाल्टी लग सकती है।
इसके बाद जीएसटी रिटर्न की बात आती है। इसमें अलग-अलग फॉर्म होते हैं, जिसमें सेल, परचेज और दूसरे टैक्स इत्यादि की डिटेल भरनी होती है।
इसके बाद तीसरा जो काम आता है वह जीएसटी एकाउंटिंग का काम होता है। इसमें बारीकी से कैलकुलेशन को चेक किया जाता है और विभिन्न बिजनेस और आपकी संस्था की विशेष जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया करनी होती है। इसके बाद चौथे नंबर पर जीएसटी रिकॉर्ड की बात आती है। ज़ाहिर तौर पर यहां रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है। इसे ड्राफ्ट रिकॉर्ड्स रूल्स भी कहते हैं, जिसमें एडिशनल जीएसटी अकाउंटिंग और रिकॉर्ड कीपिंग रिक्वायरमेंट शामिल किया जाता है।
जाहिर तौर पर यह सारी चीजें अगर आप सीख लेते हैं तो आपको मार्केट में अच्छी खासी अपॉर्चुनिटी मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है। पर प्रश्न उठता है कि कौन से कोर्सेज इसके लिए बेहतर है?
इसमें सबसे पहले बिगनर कोर्स आता है।
बिगनर कोर्स को आप डिप्लोमा भी समझ सकते हैं, जिसके लिए आपको 12वीं पास करना आवश्यक होता है। इसमें आपको 24 से 48 घंटे तक की क्लास रूम ट्रेनिंग दी जाती है और तमाम जीएसटी के बेसिक्स की जानकारी आपको दी जाती है। सामान्य तौर पर यह कोर्स ₹5000 तक आपको मार्केट में उपलब्ध हो जाता है।
इसके बाद आप जीएसटी इंटरमीडिएट कोर्स कर सकते हैं। जी हां! बिगनर कोर्स के बाद यह कोर्स आपके सामने आता है और प्रैक्टिकल जानकारी आपको इसमें प्रदान की जाती है। अकाउंट्स और मैनेजर के लिए भी यह कोर्स काफी अच्छा माना जाता है, और ई लर्निंग के माध्यम से इस कोर्स को पूरा किया जा सकता है। तकरीबन 60 घंटे तक, इसकी ट्रेनिंग पर्याप्त होती है। बलगभग ₹6000 में यह कोर्स अवेलेबल है।
टैली ईआरपी
इसे भी 12वीं पास बच्चे कर सकते हैं। इसमें मैथमेटिकल कंप्यूटेशन भी शामिल होता है। कोई भी कंपनी अपनी बैलेंस शीट को अपने खर्चे और दूसरे अकाउंटिंग से जुड़े हिसाब किताब को मेंटेन करने के लिए आज के समय में ईआरपी भी यूज करती है। अगर आप भी ऑनलाइन इस कोर्स को करना चाहते हैं, तो अधिकतम 40 घंटे में इसे पूरा कर सकते हैं। 3000 से ₹4000 के बीच में यह कोर्स आपको अवेलेवल है।
एक्सपर्ट लेवल के कोर्स के लिए भी 12वीं तक की शिक्षा अनिवार्य होती है, लेकिन तकरीबन 135 घंटे की ऑनलाइन या क्लासरूम ट्रेनिंग आपको करना होता है। फिर एग्जाम देने के बाद आप जीएसटी में एक्सपर्ट लेवल के डिप्लोमा होल्डर कहला सकते हैं। कोर्स के लिए 12 से 14000 के बीच में फीस आपको चुकानी पड़ सकती है।
जीएसटी बिजनेस मैनेजमेंट
जी हाँ!, अगर आप 12वीं पास हैं तो आप इस कोर्स में जा सकते हैं। तकरीबन 8,000 रुपए देकर आप 60 घंटे तक की ऑनलाइन ट्रेनिंग ले सकते हैं।
अब आप समझ गए होंगे कि अलग अलग तरीके के कोर्सेज किस तरीके से आपको फायदा दे सकते हैं। इसके अलावा आईसीएआई (ICAI) यानी भारतीय लागत लेखाकार संस्थान ने भी जीएसटी कोर्स की शुरुआत की है। यह जीएसटी का सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम माना जाता है।
अगर आप ऐसे ही कोर्सेज दूसरी यूनिवर्सिटीज से करना चाहते हैं तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ यूनिवर्सिटी जैसे तमाम संस्थान भी जीएसटी पर कोर्सेज करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में भी जीएसटी पर पाठ्यक्रम शुरू होने वाला है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आप इस फील्ड में कितना इंटरेस्ट लेते हैं और किस तरीके से अपने कॅरियर को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
- मिथिलेश कुमार सिंह