By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 19, 2019
नयी दिल्ली। जीएसटी परिषद की बुधवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में ज्यादातर राज्यों ने जीएसटी स्लैब में बदलाव या वृद्धि का विरोध किया। उनकी दलील थी कि दरों में वृद्धि से नरमी की सामना कर रही अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जीएसटी परिषद अप्रत्यक्ष कर के मामले में निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है। वित्त् मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। आम सहमति के अभाव में परिषद ने पहली बार लॉटरी पर जीएसटी दर के बारे में मतदान के जरिये निर्णय करने का फैसला किया।
राज्यों के वित्त मंत्रियों ने राजस्व संग्रह में गिरावट और जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान में विलमब को लेकर भी चिंता जतायी। सूत्रों के अनुसार राज्यों के मंत्रियों ने कहा कि जीएसटी संग्रह में कमी का कारण आर्थिक नरमी है। इसका कारण जीएसटी दर का कम होना नहीं है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 38वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कहा, ‘‘दर में वृद्धि या स्लैब में बदलाव जल्दबाजी में की गयी प्रतिक्रिया होगी। राज्यों का विचार था कि सबसे पहले व्यवस्था की सभी खामियों को दूर किया जाए और अनुपालन में सुधार लाया जाए।’’ राजस्व बढ़ाने पर अधिकारियों की समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में स्लैब में बदलाव और दर में वृद्धि के संदर्भ में सुझााव दिया गया है।
बजट पूर्व विचार-विमर्श के दौरान पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि राज्यों ने सामाजिक व्यय में उल्लेखनीय रूप से कमी का जिक्र किया। मित्रा ने कहा, ‘‘आगामी बजट में सामाजिक व्यय में कमी नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है लोगों के लिये सजा होगी...।’’ पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि जहां तक राज्यों की प्रमुख चिंताओं का सवाल, वह क्षतिपूर्ति को लेकर है। राज्य यह सोच रहे हैं कि उन्हें समय पर क्षतिपूर्ति मिलेगी या नहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें राजस्व की खराब स्थिति का पता है। हालांकि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि स्थिति इतनी खराब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री परिषद में आश्वासन नहीं दे सकती कि राज्यों को समय पर भुगतान किया जाएगा या नहीं।
पांच घंटे तक चली बैठक के बाद सीतारमण ने कहा कि अनुमानों पर आधारित प्रस्तुतीकरण दिया गया है वह राज्यों के अधिकारियों की समिति और केंद्र के बीच राजस्व बढ़ाने को लेकर चर्चा पर आधारित है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बादअधिकारी पहली बार अपनी तरह के कुछ आंकडे लेकर आए हैं। यह विभिन्न विकल्पों पर आधारित है। मसलन, यदि वृद्धि अमुक स्तर की रहती है तो राजस्व की स्थिति क्या हो सकती है।मंत्रियों के बीच इस बात की सहमति बनी है कि वे इस पर कुछ समय विचार करने के बाद अपने सुझाव देंगे। सीतारमण नेकहा कि यह अनुमानों पर आधारित एक पहला प्रस्तुतीकरण था।इसमें दरें घटाने या बढ़ाने के बारे में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सुझाव नहीं था। सीतारमण ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त सूचनाओं को परिषद की अगली बैठक में विस्तृत विचार विमर्श के लिए रखा जाएगा। ऐसे में सबसे पहली बात यह है कि सचिव अधिकारियों की समिति ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दरों को घटाने या बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया।