अर्थव्यवस्था में गिरावट के बीच कल-कारखानों में शुरू हुआ काम, विकास ने पकड़ी रफ्तार

By अंकित सिंह | Sep 02, 2020

कोरोना की वजह से देश में लगे लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार में ब्रेक लगा दी है। देश के जीडीपी में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई।  ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरीके से चौपट कर दिया है। लेकिन उद्योग जगत इस बात को लेकर आशावान है कि अब धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की ओर आगे बढ़ेगा। उन्हें इस बात की उम्मीद है कि हम एक बार फिर से वापसी कर सकते है। देश में अनलॉक के साथ अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौटने की कोशिश कर रही है। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है 5 महीने में पहली बार मनुफैक्चरिंग सेक्टर ने रफ्तार पकड़ी है। उद्योग ने कहा कि विभिन्न सुधारों, 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज और रिजर्व बैंक के उपायो से उसे आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरूद्धार आने की उम्मीद है।

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वर्तमान में देखे हैं तो कारोबारी गतिविधियों के लिए बिजली की खपत भी पहले की स्थिति में पहुंच गई है। मार्च महीने के बाद पहली बार मैन्युफैक्चरिंग में ग्रोथ 50 पॉइंट ऊपर देखा और अगस्त में 52 पॉइंट रहा। पॉइंट में बढ़ोतरी का साफ मतलब यह है कि फिलहाल अनलॉक चार की वजह से देश में कल-कारखानों में उत्पादन गतिविधियां बढ़ गई है। इतना ही नहीं, अगस्त में गाड़ियों की भी बिक्री में जबरदस्त इजाफा देखा गया है। मारुति की कारें जुलाई की तुलना में अगस्त में 15.3 फ़ीसदी ज्यादा बिकी हैं। यही हाल बाकी दूसरी कंपनी के गाड़ियों का रहा है। इसके अलावा अगस्त में ट्रैक्टर बनाने वाली एस्कॉर्ट कंपनी की बिक्री भी 80 फ़ीसदी से ज्यादा रही है। राहत वाली बात यह है कि जीडीपी धड़ाम हुई है पर इन आंकड़ों में खेती को लेकर सकारात्मक रुझान देखने को मिली। 

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जीएसटी कलेक्शन में भी घाटा देखने को मिला है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अगस्त महीने में 86,449 करोड़ रुपये रहा। यह लगातार दूसरा महीना है जब जीएसटी संग्रह कम हुआ है। इससे पहले, जुलाई में यह 87,422 रुपये था। सालाना आधार पर जीएसटी संग्रह 12 प्रतिशत कम रहा। पिछले साल इसी महीने में माल एवं सेवा कर संग्रह 98,202 करोड़ रुपये था। सकल संग्रह में केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) 15,906 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 21,064 करोड़ रुपये, एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) 42,264 करोड़ रुपये और उपकर 7,215 करोड़ रुपये रहा। आईजीएसटी में आयातित वस्तुओं पर प्राप्त 19,179 करोड़ रुपये शामिल है। कर विशेषज्ञों ने कहा कि राजस्व संग्रह का आंकड़ा संकेत देता है कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है।

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जीएसटी संग्रह चालू वित्त वर्ष की शुरूआत से ही स्थिर है। इसका कारण कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ लगाया जाना है जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। अप्रैल में राजस्व 32,172 करोड़ रुपये, मई में 62,151 करोड़ रुपये, जून में 90,917 करोड़ रुपये और जुलाई में 87,422 करोड़ रुपये रहा। पीडब्ल्यूसी के प्रतीक जैन (अप्रत्यक्ष कर) ने कहा कि पिछले दो महीनों के रुख को दखें तो ऐसा लगता है कि संग्रह पिछले साल के इन्हीं महीनों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत कम होकर स्थिर हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘चीजें अब धीरे-धीरे पटरी पर आ रही हैं, संग्रह आने वाले महीनों में बढ़ने की संभावना है।’’ डेलॉयट इंडिया के भागीदारी एम एस मणि ने कहा कि जीएसटी संग्रह सुधार के रास्ते पर है। घरेलू लेन-देन से होने वाला जीएसटी संग्रह पिछले साल के इसी माह के मुकाबले केवल 8 प्रतिशत कम है। यह आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार का संकेत देता है। उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी संग्रह का राज्यवार आंकड़ा बताता है कि पुनरूद्धार प्रक्रिया से राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में संग्रह में मामूली वृद्धि हुई है। वहीं हरियाणा और गुजरात में मामूली कमी आयी है जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में उल्लेखनीय गिरावट आयी है।’’

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