पर्यावरण की महान चिंता (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | May 22, 2023

बहुत जतन किए लेकिन पर्यावरण को फायदा नहीं हुआ। गुलदस्ते, प्रतियोगिताएं, रैलियां, भाषण, पुरुस्कार, वृक्षारोपण, सेल्फियां, ख़बरें और भी न जाने क्या क्या उपायों में शामिल हुए लेकिन कुल मिलाकर बात बन नहीं रही थी। सार्वजनिक रूप से वह यही कहते रहे कि पर्यावरण रक्षा की हर दिशा में विकास हुआ है लेकिन उन्हें पता था कि हुआ क्या है और क्या नहीं हुआ। चुनाव कभी भी आ सकते हैं इस बात का उन्हें संजीदा एहसास था इसलिए भी उनकी चिंता बढ़ती जा रही थी। उन्हें यह भी पता था कि चुनाव में पर्यावरण नाम की कोई चीज़ मुद्दा नहीं होती लेकिन इस बार की चिंता में उनकी पवित्र आत्मा भी शामिल थी इसलिए अब उन्हें नए ढंग से चिंता करनी ही थी। 


पर्यावरण को कुछ संजीदा फायदा हो इसलिए उन्होंने निश्चय लिया कि वे जीवन शैली ही बदल डालेंगे। कल से रोज़ ज़मीन पर बिछाई दरी पर बैठकर कुछ मिनट तक आंखें वाकई बंदकर चिंतन करेंगे। आज तक उन्होंने कोई भी कार्य ध्यान से नहीं किया लेकिन अब रोज़ ध्यान लगाया करेंगे ताकि उनके विचार शुद्ध हों उनमें आत्मिक शक्ति बढ़े। यह शुभ कार्य घर में नहीं हो पाएगा यह मानकर उन्होंने निर्णय लिया कि पडोस के पार्क में करेंगे वही पार्क जिसे एक बार बनाने के बाद बिलकुल भुला दिया गया। उन्होंने अगला संकल्प लिया कि अपना पहनावा भी बदल देंगे और रोज़ नीला या हरा ही पहना करेंगे। हर रविवार को सिर्फ सफ़ेद वस्त्र ही धारण करेंगे ताकि शांति स्थापित रहे और उनके व्यक्तित्व से शांति का ही सम्प्रेषण हो।

इसे भी पढ़ें: गधों के लिए है (व्यंग्य)

पर्यावरण सुधारने के लिए जो भी सोचेंगे लकड़ी की पुरानी आरामदायक कुर्सी पर बैठकर भी सोचेंगे और संकल्प लिया कि कुर्सी पर विराजने के बाद आंख मींच कर कभी सोच विचार नहीं करेंगे बल्कि पूरी आंखें खोलकर ही सोचेंगे। गहन सोच के लिए बार बार ठोड़ी के नीचे उंगलियां चिपकाकर सोचा करेंगे, सिर पर हाथ रखकर कभी न सोचेंगे क्यूंकि इससे गलत सन्देश अपने आप ही प्रेषित हो जाता है कि बंदा परेशान है। उन्होंने जीन्स पहनकर काफी मंथन किया और करवाया भी लेकिन बात नहीं बनी। इस बार फिर से बढ़िया ब्रांड की नीले रंग की नेकर पहनकर, सफ़ेद रंग की टी शर्ट जिस पर एक चिड़िया की तस्वीर और ‘लव नेचर’ भी छपा था कई बार पहनी।

 

हरे रंग की कैप लगाकर भाषण सुने और दिए और हाथ में सफ़ेद दस्ताने पहनकर समाज व प्रशासन के ज़िम्मेदार लोगों के साथ दौड़ लगाई। लेकिन अगली ही सुबह फिर लगने लगा कि कुछ ठोस नहीं हुआ।  दिमाग फिर कहने लगा कि कुछ और सोचो। फिर एक दिन प्लास्टिक का सामान निजी तौर पर घर से बाहर करने के लिए लिस्ट बनाई लेकिन इतने सालों से व्यवहारिक उपयोगिता व पत्नी की डांट के कारण लिस्ट फाड़नी पड़ी। पत्नी ने कहा मैं प्लास्टिक का सारा सामान जोकि मुझे बहुत प्रिय है घर से बाहर करने के लिए तैयार हूं ताकि पर्यावरण जल्दी सुधर जाए लेकिन धातुओं का नया सामान लाने के लिए बजट कहां से आएगा। घर का वातावरण ठीक रखने के लिए पहले यह बताइए। फिलहाल आप कल मेरे साथ मॉल चलें ताकि शौपिंग हो सके। मुझे काफी सामान खरीदना है।  

 

यह बात रात के वक़्त हुई थी, सोते हुए उन्होंने आज से योग का सहारा लेने का निश्चय किया। अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए हलके फुलके व्यायाम करने के बाद रोजाना शवासन करने का निर्णय किया ताकि पहले अपना और घर का स्वास्थ्य ठीक रहे और जीवन में शान्ति रहे। बदली हुई परिस्थितियों के कारण पर्यावरण सुधार के लिए उनका महत्वपूर्ण निर्णय फिर से स्थगित हो गया।


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

CM नहीं, कॉमन मैन बनकर किया काम, शिंदे बोले- मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं, मोदी-शाह का हर फैसला मंजूर

चिन्मय कृष्ण दास वो हिंदू साधु है, जिसने बांग्लादेश सरकार के दिल में पैदा कर दिया डर, गिरफ्तारी के बाद भी सनातनियों को एकजुट रहने का संदेश दिया

इस बात को छिपाया नहीं जा सकता... बेन स्टोक्स ने बताई IPL 2025 ऑक्शन से दूर रहने की सच्चाई

कैलाश गहलोत ने विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, कुछ दिन पहले ही AAP छोड़ BJP में हुए शामिल