COP29: जलवायु को लेकर अजरबैजान में महामंथन, इन पर फोकस भारत की रणनीति

By अभिनय आकाश | Nov 12, 2024

दुनिया की जलवायु में पिछले कुछ सालों से तेजी से बदलाव हुआ है। आज जीवन के हर पहलू पर जलवायु में हो रहे इन बदलावों का असर साफ तौर पर नजर आने लगी है। लोगों की सेहत भी इससे अछूती नहीं है। बात चाहे आपदाओं की वजह से जा रही जानों की करें या इसकी वजह से तेजी से पनपती बीमारियों की। दुनिया के हर हिस्से में तेजी से मौसम रंग बदल रहा है और लोगों की सेहत पर आघात कर रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य पर मंडराते हुए इस खतरे को और भी ज्यादा संजीदगी से लेने की जरूरत है। अजरबैजान के बाकू में जलवायु परिवर्तन को लेकर 12 दिन के कॉप 29 सम्मेलन की शुरुआत हुई है। भारत समेत दुनियाभर के वार्ताकार इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं। ऐसे में डब्लयूएचओ ने तमाम देशों से जीवाश्म ईंधन से अपना नाता तोड़ने का आग्रह किया है। साथ ही सरकारों से आम लोगों को जलवायु में आते बदलावों का सामना करने के काबिल बनाने में मदद करने की वकालत की है। कॉप 29 सम्मेलन में भारत की तरफ से पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री  कीर्ति वर्धन सिंह 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। इस बैठक में भारत तीन उद्देश्यों पर फोकस करने वाला है।

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कॉप 29 की बैठक में भारत की तीन प्राथमिकताएं कौन सी

जलवायु वित्त यानी क्लाइमेट फाइनेंस की फौरन जरूरत के लिए जवाबदेही तय करना। 

कमजोर समुदायों की सुरक्षा

न्याय संगत उर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना। 

भारत की क्या प्राथमिकताएं हैं?

इस बैठक में आमतौर पर देशों के राष्ट्रपति और पीएम जाते है, लेकिन इस बार अलग-अलग कारणों से भारत, अमेरिका, चीन, फ्रांस, जर्मनी के प्रमुख इससे दूर रहेंगे। दुनिया में कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाले 13 शीर्ष देशों के राज्याध्यक्ष या शासनाध्यक्ष इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं जबकि पिछले साल इन देशों की ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक थी। सबसे बड़े प्रदूषक और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले चीन और अमेरिका अपने शीर्षस्थ प्रतिनिधियों को सम्मेलन में नहीं भेज रहे हैं। दुनिया की 42 प्रतिशत से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष चार देशों के शीर्ष नेता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए नहीं आ रहे हैं। इस सम्मेलन में भारत 18 और 19 नवंबरको अपना पक्ष रखेगा।

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