सरकार ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू बाजार में चावल की खुदरा कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और इसके पर्याप्त भंडार से इसमें मदद मिलेगी। खाद्य मंत्रालय का यह बयान उसके तथ्य पत्रक के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि के संकेत दिख रहे हैं। खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा, पोल्ट्री और पशुओं के लिए घरेलू चारे की उपलब्धता को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है।
साथ ही चावल की घरेलू कीमतों पर भी नियंत्रण रखा है। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था। मंत्रालय ने कहा, चावल की घरेलू कीमत आरामदायक स्थिति में है और कीमतें अच्छी तरह नियंत्रण में रहेंगी... अधिशेष भंडार के कारण चावल की घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार और पड़ोसी देशों की तुलना में काबू में रहेंगी।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 में 5.15 प्रतिशत बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि 2021-22 में यह 1,940 रुपये प्रति क्विंटल था। मंत्रालय ने यह भी बताया कि चावल और गेहूं की अखिल भारतीय घरेलू थोक कीमतों में इस सप्ताह क्रमशः 0.08 प्रतिशत और 0.43 प्रतिशत की कमी आई। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को चावल का औसत खुदरा मूल्य 37.65 रुपये प्रति किलोग्राम था।