By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 20, 2022
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने पैंगोंग झील के निकट चीन द्वारा दूसरा पुल बनाए जाने संबंधी खबरों पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को विरोधाभासी करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस तरह के बयान से कुछ नहीं होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए। पार्टी ने सरकार से यह सवाल भी किया कि क्या चीन द्वारा पैगोंग झील के निकट अवैध निर्माण किया जाना भारत की भौगोलिक अखंडता पर हमला नहीं है?’ पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो के पास चीन के दूसरा पुल बनाने की खबरें आने के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि खबरों के अनुसार जिस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, वह क्षेत्र दशकों से उस देश के कब्जे में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह भी कहा था कि भारत की ऐसे घटनाक्रम पर नज़र है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘चीन पैंगोंग पर पहला पुल बनाता है। भारत सरकार कहती है कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। चीन पैंगोंग पर दूसरा पुल बनाता है। भारत सरकार कहती है कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं हो सकता। डरे हुए अंदाज में प्रतिक्रिया करने से कुछ नहीं होगा। प्रधानमंत्री को राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए।’’ कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पैंगोंग झील पर चीन द्वारा दूसरे पुल के निर्माण पर विदेश मंत्रालय का बयान बिरोधाभासी है। विदेश मंत्रालय को सही जानकारी नहीं है तो रक्षा मंत्रालय स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं करता, आखिर देश को अंधेरे में क्योँ रखा जा रहा है ?’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह सही नहीं है कि चीन पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील वाले जिस इलाके में पुल का निर्माण कर रहा है उसे भारत दशकों से चीन द्वारा अनधिकृत ‘क़ब्ज़े वाला क्षेत्र मानता है?ऐसे में विदेश मंत्रालय की ताजा टिप्पणी से असमंजस की स्थिति पैदा होती है।’’
खेड़ा ने दावा किया, ‘‘कूटनीति में की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। जहां हमारी वीर सेना दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देती है, वहीं सरकार की ऐसी ढुलमुल टिप्पणी देश के हौसले का मज़ाक़ उड़ाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस साल जनवरी में जब चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पहला पुल बनाने की खबरें सामने आईं तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह उस क्षेत्र में स्थित है जो 60 वर्षों से चीन के अवैध कब्जे में है।