एक बात जो राजनीति में बार-बार कहीं जाती है, वह यह है कि कोई यहां ना स्थाई दोस्त होता है और ना ही स्थाई दुश्मन होता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक बार फिर से यही देखने को भी मिल रहा है। कल तक जो भाजपा के निशाने पर रहते थे आज उसके लिए संकटमोचक बन गए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा की।
गुरुवार शाम से ही ट्विटर पर एक नाम सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा था और वह था गोपाल कांडा का। पर यह क्यों हो रहा था। माना कि उन्होंने चुनाव जीता है पर चुनाव तो बाकी के अन्य विधायकों ने भी जीता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर गोपाल कांडा इतने विशेष क्यों हो गए हैं? दरअसल गोपाल कांडा ने सिरसा से चुनाव जीता है। वह हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे थे। लेकिन हरियाणा में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से छोटे दल या फिर निर्दलीय विधायकों से बड़ी पार्टियों को उम्मीद है। हालांकि गोपाल कांडा ने चुनाव जीतने के साथ ही संकेत दे दिया था कि वह भाजपा को ही समर्थन देंगे। उनके इस संकेत के बाद ही उनका नाम ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा। क्योंकि यह वही भाजपा है जो कभी गोपाल कांडा को पानी पी पीकर कोसती थी। भाजपा ने तो उनका इतना विरोध किया था कि उन्हें मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था।
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पर भाजपा ने इतना तगड़ा विरोध क्यों किया था? आखिर गोपाल कांडा इतने खास क्यों है? हरियाणा की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले गोपाल कांडा 2009 में भी चुनाव जीता था। इस जीत के बाद हरियाणा की हुड्डा सरकार में उन्हें मंत्री पद में मिला था। उनकी राजनीतिक प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्दलीय विधायक होने के बावजूद भी उन्हें मंत्री बनाया गया था। यहां तक तो ठीक था लेकिन साल 2012 में गोपाल कांडा अचानक चर्चा में आते हैं। गोपाल कांडा पर एयरलाइंस में काम करने वाली एक महिला ने उन पर कई आरोप लगाने के बाद आत्महत्या कर ली थी। उस महिला का नाम था गीतिका शर्मा। गीतिका शर्मा आत्महत्या कांड आपने खूब सुना होगा। गीतिका एमडीएलआर एयरलाइंस में बतौर एयर होस्टेस काम करती थी और गोपाल कांडा इस एयरलाइंस के मालिक थे। गीतिका का शव उसके अशोक विहार स्थित घर में पंखे से लटका हुआ मिला था। इसके साथ ही साथ एक सुसाइड नोट भी पुलिस ने बरामद किया था। इस सुसाइड नोट में गीतिका ने गोपाल कांडा और उनकी कर्मचारी अरुणा चड्ढा का नाम लिया था।
गोपाल कांडा गीतिका द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताते रहें और 10 दिनों तक अंडरग्राउंड रहे। बाद में उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। गीतिका ने गोपाल कांडा के ऊपर बलात्कार, आत्महत्या के लिए उकसाने, अपराधिक साजिश रचने जैसे कई आरोप लगाए थे। भाजपा सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने हुड्डा सरकार में गोपाल कांडा के मंत्री रहने का इतना विरोध किया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद इस मामले में एक और नया मोड़ तब आता है जब गीतिका शर्मा के आत्महत्या के 6 महीने बाद ही उनकी मां ने भी आत्महत्या कर लिया। मां ने भी गोपाल कांडा का अपने सुसाइड नोट में नाम लिया था। 18 महीने तक गोपाल कांडा को जेल में रहना पड़ा। 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने गोपाल कांडा पर से रेप का आरोप हटाते हुए जमानत दे दी।
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हरियाणा में सियासी रसूख रखने वाले गोपाल कांडा ने जेल से बाहर आते ही अपने भाई के साथ मिलकर हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन कियाष 2014 और 2019 के आम चुनाव के साथ-साथ 2014 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को उतारे थे पर हरियाणा लोकहित पार्टी को कामयाबी नहीं मिली। हालांकि इस विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा जीत हासिल करने में कामयाब रहे। लेकिन यह जीत महज 602 वोटों से है। सिरसा की भाजपा सांसद ने गोपाल कांडा को दिल्ली में पार्टी आलाकमान से भी मिलवा चुकी हैं। इसके बाद से भाजपा और गोपाल कांडा को लेकर सोशल मीडिया पर खूब तंज कसे जा रहे हैं। कुमार विश्वास ने भी एक ट्वीट किया है जो पढ़ने लायक है:-