By डॉ. रमेश ठाकुर | Aug 30, 2021
टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक कर जो कीर्तिमान स्थापित किया है उससे देश का सिर आसमां की तरह ऊपर उठा। उनकी कामयाबी को प्रत्येक देशवासियों ने निजी उपलब्धि जैसा महसूस किया। नीरज ने फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता, जो भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। जीत से पहले तक वह क्या सोच रहे थे और अब भविष्य की क्या हैं प्लानिंग, को लेकर इंडियन आर्मी में सूबेदार व गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा से डॉ0 रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ खास अंश।
प्रश्न- अगला लक्ष्य आपका पेरिस रहेगा?
उत्तर- वर्तमान में ज्यादा विश्वास करता हूं, पेरिस ओलंपिक में अभी समय है। पर, भारतवासियों को मुझसे अब ढेरों उम्मीदें हैं। उनकी उम्मीदों को मैं अपनी जिम्मेदारी समझकर अभी से संघर्ष करना शुरू कर दूंगा। देखिए, व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धाई खेलों में खिलाड़ी के समक्ष बड़ी चुनौती होती है उसे खुद से ही हैंडल करना होता है। भाला फेंक सिंगल प्लेयर गेम है, इसमें क्रिकेट या फुटबाल की तरह टीम वर्क नहीं होता। सभी तैयारियां, सभी फैसले ऑन स्पॉट खुद लेने होते हैं। फिलहाल पेरिस की तैयारियों को लेकर उसी समय देखूंगा, उसके बारे में उसी समय पता चलेगा। लेकिन मैं वहां भी अच्छा प्रदर्शन करूं इसके लिए पूरी मेहनत करूंगा।
प्रश्न- आपकी इमेज सुपरस्टार वाली बन गई है, खेल को प्रभावित तो नहीं करेगी?
उत्तर- (हंसते हुए)......ना जी, मैं खुद को सुपरस्टार नहीं मानता और ना ही कभी मानूंगा। सचिन तेंदुलकर, विराट अंजू बॉबी, मिल्खा सिंह ये हमारे स्टार हैं और रहेंगे। हम तो मात्र उनके पद्चिन्हों पर चल रहे हैं और खेलों के रूतबे को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी मैं हूं, मेरे बाद भी कोई आगे आएगा जो हमारे खेलों की परंपरा को आगे बढ़ाएगा। बस इतना कहना चाहूंगा कि सुपरस्टार की इमेज में बंधकर मैं नहीं रहना चाहता। शरीर में जब तक ऊर्जा रहे, अच्छा करता रहूं, यही प्रभु से दुआ करूंगा।
प्रश्न- गोल्ड मेडलिस्ट बनने के बाद कैसा महसूस किया था आपने?
उत्तर- जाहिर है अच्छा लगा था। देखिए, सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि मेडल जीतने पर पूरे हिंदुस्तान में खुशी का माहौल पैदा हुआ। वरना, कोरोना जैसी बीमारी ने माहौल गमगीन किया हुआ था। जीत पर देशवासियों ने जश्न मनाया और लोगों के चेहरों पर खुशी के आंसू व मुस्कान देखकर मैं कुछ समय के लिए भावुक भी हो गया था। जीत के तुरंत बाद प्रधानमंत्री का फोन पहुंचा, आशीर्वाद दिया, उस दौरान मैंने खुलकर अपनी भावनाएं उनके सामने जाहिर कीं।
प्रश्न- प्रधानमंत्री ने फोन पर क्या कहा था?
उत्तर- उन्होंने जीत की बधाई दी, भविष्य में अच्छा करने के लिए प्रेरित शुभ वचनों से शुभकामनाएं दीं। उन्होंने लगभग 10 मिनट मुझसे बात की, मेरे कोच और बाकी लोग भी उस वक्त आसपास में मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने मेरे घर परिवार के संबंध में भी बातें कीं और 15 अगस्त पर मिलने को कहा था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि खुद पीएम साहब फोन करेंगे और मेरे जैसे साधारण खिलाड़ी से बात करेंगे। ये बात मैंने उनको भी बोली जब 15 अगस्त को उनसे मिला था।
प्रश्न- खेलों में आप किसे अपना आदर्श मानते हो?
उत्तर- मिल्खा सिंह। मैंने अपना पदक उनको समर्पित किया है। मैं जब भी पंजाब के चंडीगढ़-पटियाला जाता था तो सिर्फ मिल्खा सिंह से मिलने के लिए सोचता था। मैंने कई मर्तबा सपने में देखा कि मिल्खा सिंह स्वर्ण जीत रहे हैं। मैंने उनका एक इंटरव्यू देखा था जिसमें उन्होंने र्स्वण पदक जीतने की ख्वाहिश जाहिर की थी। अपने दौर में वह बहुत कम समय से पदक से चूक गए थे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं पर जहां भी हैं खुश होंगे।
प्रश्न- अगले वर्ष एशियाई खेल भी होंगे और विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट भी?
उत्तर- पेरिस ओलंपिक से पहले ये दोनों आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हैं। तैयारियों का जायजा इन्हीं से लगेगा। गोल्ड जीतने के बाद तैयारियों में होने वाली कमी को सरकार ने पूरा करने का वादा किया है। ट्रेनिंग अच्छे से होगी, तो रिजल्ट भी उसके अनुकूल आएगा। मैं इन दोनों में अच्छा प्रदर्शन करूंगा ऐसी मुझे उम्मीद है।
प्रश्न- पाकिस्तान खिलाड़ी को लेकर कोई विवादों भी पिछले दिनों हुआ था?
उत्तर- विवाद नहीं, गलतफहमी थी जिस पर मैं सफाई दे चुका हूं। देखिए, विवाद भाले के एक्सचेंज को लेकर था। मैं एक बात और साफ कर दूं। मैदान में प्रतिभागी एक दूसरे के भाले का इस्तेमाल नियमों के मुताबिक कर सकते हैं। किसी प्रतिस्पर्धी द्वारा अधिकारियों को सौंपा गया भाला कोई भी अन्य प्रतियोगी इस्तेमाल कर सकता है। क्योंकि यह नियम ‘पोल वॉल्ट’ को छोड़कर सभी फील्ड स्पर्धाओं में पूर्ण रूप से लागू होता है। विवाद पाकिस्तानी खिलाड़ी अरशद नदीम से जोड़ा गया जो पांचवें स्थान पर रहे थे।
-बातचीत मैं जैसा गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने डॉ. रमेश ठाकुर से कहा।