बाग़ में जाकर दिल बाग़ बाग़ (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Dec 09, 2024

पर्यावरण प्रेम के भजन गाते रहने के लिए बाग़ से अच्छी जगह नहीं हो सकती। हमारे यहां हरी भरी, जगहों के रखरखाव के लिए बहुत ज़्यादा मेहनत और ईमानदारी से प्रयास किए जाते हैं। इसका अंदाज़ा उन जगहों पर जाकर कुछ ही देर में हो जाता है। वहां जाकर आम इंसान भी खुद को विश्वगुरु टीम का खिलाड़ी महसूस करने लगता है। लोहे के विशाल और शानदार गेट से प्रवेश कर शहर के लगभग एक सौ चालीस साल पुराने बाग़ में सुबह सुबह जाना हुआ तो देखा एक व्यक्ति रास्ता साफ कर धूल कूड़ा और मिटटी उजड़ी हुई क्यारियों के हवाले कर रहा है। क्यारियों में कोई पौधा नहीं है फूल होना बाद की बात ।

 

यहां घूमने वाले समझदार लोगों ने हर कहीं रास्ता बना लिया है। उधर देखा तो एक वृक्ष के नीचे कहीं से निकाली पुरानी टूटी फूटी इंटरलॉक टाइल्स का ढेर लगा है। रास्ते के किनारे लगा बोर्ड जिसमें कुत्तों को लाने और घुमाने की मनाही थी गायब है। वैसे अब इसकी ज़रूरत भी नहीं रही क्यूंकि कुछ दूरी पर एक दीवार के साथ कुत्ते के आधा दर्जन बच्चे अपनी माता के साथ घूमते दिखे।  बाग़ में कूड़े के ढेर होना तो परम्परा निभाने जैसा हो गया है। साथ लगती गली में रहने वालों ने प्लास्टिक और सामान के खाली डिब्बे बाग़ में फेंक कर राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में योगदान दिया है। 

इसे भी पढ़ें: खाओ और खाने दो (व्यंग्य)

कई साल पहले नए विकास के तहत लगाए ओपन जिम के उपकरण टूट चुके हैं, कुछ गायब हैं जिनकी मरम्मत के लिए नगरपालिका के पास पैसे नहीं हैं। मगर हां किसी नेता की स्मृति में पीतल से बने विज्ञापन पट्ट लगाने के लिए हैं जी। उधर पूरे बाग़ में अनेक कचरा पेटियां उलटी पुलटी पड़ी हैं। बंदर उनसे खेल रहे हैं। बंदरों की खुराफातों के साथ आम वोटर ने समझौता कर लिया है क्यूंकि अनेक मामलों में समझदार, शातिर लेकिन बेचारे नेताओं के पास भी तो उनका कोई इलाज नहीं। उनके पास दूसरे बहुत से ज़रूरी पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मसले हैं। पिछले दिनों श्रद्धालुओं ने आस्था के दीपक जलाकर, गत्ते के डिब्बों में रखकर तालाब में तैरा दिए थे। उनका धार्मिक स्वार्थ पूरा हो गया लेकिन सड़ते हुए डिब्बे निकालने का कर्तव्य किसका है यह सुनिश्चित करना बाक़ी है। 

 

बाग़ की एक उदास दीवार पर सुलेखन में आदेश पढ़कर दिल बाग़ बाग़ हो गया जी। आप भी पढ़िए, उच्चकोटि के विचार प्रकट किए हैं। बाग़ में घूमने के लिए आए सभी व्यक्तियों से निवेदन है कि इन बातों का विशेष ध्यान रखें। बाग़ से स्वयं फूल न तोड़ें। मंदिर में चढ़ाने के लिए फूल, माली से ही मांगें।  बाग़ की साफ़ सफाई का ध्यान रखें। इधर उधर कूड़ा डालकर गंदगी न फैलाएं। बाग़ में कुत्ते लेकर घूमना वर्जित है।  बाग़ में फूलों की क्यारियों में पांव रखना मना है। स्कूलों के विद्यार्थी फूलों की जानकारी लेने अपने अध्यापक के साथ ही आएं तथा फूलों को नुक्सान न पहुंचाएं। कोई भी व्यक्ति उपरोक्त बातों का उल्लंघन करता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।  

 

नगरपालिका प्रबंधकों ने यह आदेश उचित जगह यानी मुख्य द्वार के भीतर वाली दीवार पर लिखवाए ताकि इन्हें किसी की नज़र न लगे। गलती से किसी की नज़र पड़ भी जाए तो बाग़ से वापिस आते समय हो। इस तरह से पर्यावरण प्रेम के भजन गाते हुए, बाग़ का बढ़िया रखरखाव देखकर दिल बाग़ बाग़ होना ही था जी ।  


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

गोवा में बड़ा हादसा, पर्यटकों से भरी नाव पलटी, एक की मौत, 20 लोगों को बचाया गया

AUS vs IND: बॉक्सिंग डे टेस्ट में रोमांचक मुकाबले की संभावना, क्या रोहित करेंगे ओपनिंग, जानें किसका पलड़ा भारी

Importance of Ramcharitmanas: जानिए रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखने की परंपरा का क्या है कारण

Arjun Kapoor के मैं सिंगल हूं कमेंट पर Malaika Arora ने दिया रिएक्शन, जानें क्या कहा?