By अभिनय आकाश | Oct 12, 2022
कश्मीरी मुख्यधारा की पार्टियों ने "नए मतदाता" के रूप में पंजीकृत होने के लिए एक वर्ष से अधिक समय से जम्मू में रहने वालों को पंजीकृत करा सकने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ मुखरता दिखाई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि पार्टी को खुशी है कि आवासीय प्रमाण प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। वहीं पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। वहीं एक वर्ष से अधिक समय से जम्मू में रहने वाले लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकृत करा सकने पर गुलाम नबी आज़ाद ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। जम्मू-कश्मीर में ये अहमियत रही है कि केवल स्थानीय लोगों (चाहे वह जम्मू या कश्मीर में रह रहे हो)को ही मतदान करने का हक होना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बाहर के लोगों को अपना वोट नहीं डालना चाहिए (यूटी में)। वे अपने राज्यों में सिस्टम के अनुसार सीलबंद लिफाफे में मतदान कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में मतदान का महत्व यह रहा है कि केवल स्थानीय लोग ही मतदान करते हैं - चाहे वह जम्मू हो या कश्मीर। आजाद ने कहा कि बाहर के लोगों को अपना वोट यहां नहीं डालना चाहिए बल्कि वे अपने राज्यों में सिस्टम के अनुसार सीलबंद लिफाफे में मतदान कर सकते हैं।
इससे पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के मतदाता के वोट का मूल्य समाप्त हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी लागू नहीं है ये कानून। नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए ईसीआई के नवीनतम आदेश से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू में भारत सरकार की औपनिवेशिक बसने वाली परियोजना शुरू की गई है। वे डोगरा संस्कृति, पहचान, रोजगार और व्यवसाय को प्रभावित करेंगे।