रिटायर हुए जनरल बिपिन रावत, बोले- नये प्रमुख के नेतृत्व में ऊंचाइयों को छुएगी भारतीय सेना

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 31, 2019

निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उनके कार्यकाल के अंतिम तीन वर्ष में उनको पूरा सहयोग देने के लिए सेना के सभी कर्मियों और उनके परिवारों का मंगलवार को आभार व्यक्त किया।  विदाई सलामी गारद के बाद जनरल रावत ने उम्मीद जताई कि नये सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के नेतृत्व में सेना नयी ऊंचाइयों को छुएगी।  उनसे जब यह पूछा गया कि क्या सेना देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अब ज्यादा अच्छे से तैयार है, उन्होंने कहा, “हां हम ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हैं।” जनरल रावत ने साउथ ब्लॉक के प्रांगण में सलामी गारद लेने के बाद मीडिया से बातचीत की। उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।  उन्होंने कहा, “मैं सभी सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो हमारे सशस्त्र बलों की परंपराओं के अनुरूप, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अटल रहते हैं और अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं।’’ 

 

जनरल रावत ने लेफ्टिनेंट जनरल एम एम नरवाने को भी बधाई दी जो जल्द ही देश के 28वें सैन्य प्रमुख के तौर पर शपथ लेंगे। उन्होंने कहा, “मैं भारतीय सेना के प्रत्येक कर्मचारी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं जनरल नरवाने को सेना का अगला प्रमुख बनने की बधाई देता हूं। वह बहुत ही सक्षम एवं योग्य अधिकारी हैं। जनरल नरवाने अपनी सामर्थ्य एवं पेशेवर रवैये से सेना को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।” जनरल रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी नियुक्त किया गया है जो सैन्य मामलों के नवगठित विभाग का कार्य देखेंगे। सीडीएस के तहत तीनों सेनाओं की एजेंसियां, संगठन एवं साइबर एवं स्पेस से जुड़े कमान आएंगे और वह परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के तौर पर भी कार्य करेंगे। सीडीएस के तौर पर उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मैं फिलहाल सेना प्रमुख के तौर पर अपने कार्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। मैं अपनी अगली नौकरी के बारे में तब विचार करुंगा जब मैं अगला पद संभालूंगा।” 

 

 

जनरल रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पदभार संभाला था और उत्कृष्ट सेवा के बाद वह इस पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सेना प्रमुख बनने से पहले उन्होंने पाकिस्तान के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी), चीन के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पूर्वोत्तर समेत कई इलाकों में अभियान संबंधी जिम्मेदारियां निभाई हैं।

 

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