By अनन्या मिश्रा | May 31, 2023
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री जयंती पर्व मनाया जाता है। बता दें कि चारों वेदों की उत्पति भी मां गायत्री से मानी जाती है। इस साल मई के अंतिम दिन यानी की 31 मई को गायत्री जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन मां गायत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार, चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य फल की प्राप्ति होती है, उतना पुण्य अकेले गायत्री मंत्र का जाप करने से प्राप्त होता है। इसलिये गायत्री मंत्र को वेदों का सार भी माना गया है।
कौन हैं मां गायत्री
बता दें कि मां गायत्री से ही चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियां का अवतरण माना गया है। वेदों की उत्पत्ति के कारण ही गायत्री मां को वेदमाता भी कहा जाता है। त्रिदेव यानी की ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी इनकी आराधना करते हैं। जिसके कारण इनको देवमाता भी माना जाता है। इसके अलावा मां गायत्री को ब्रह्माजी की दूसरी पत्नी भी माना जाता है। मां पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी का अवतार मां गायत्री को माना जाता है।
ऐसे अवतरित हुई मां गायत्री
मान्यता के अनुसार, सृष्टि के आदि में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ। मां गायत्री की कृपा से ही ब्रह्मा जी ने अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में गायत्री मंत्र की व्याख्या की। शुरूआत में मां गायत्री सिर्फ देवताओं तक ही सीमित थी। लेकिन जिस तरह से भागीरथी अपनी कठिन तपस्या के बल पूर्वजों का उद्धार करने के लिए मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे। ठीक उसी तरह विश्वामित्र ने भी कठोर तपस्या कर मां गायत्री के मंत्र को सर्वसाधारण तक पंहुचाने का काम किया था।
शुभ मुहूर्त और तिथि
30 मई को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि की शुरूआत शाम 05:37 पर होगी। वहीं 31 मई को दोपहर 06:15 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। इसीलिए 31 मई को पूरे देश में गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाएगा। गंगा दशहरा के अगले दिन गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है।
सुबह 08:51 मिनट से 10:35 तक
सुबह 10:35 मिनट से दोपहर 12:19 तक
दोपहर 12:19 मिनट से 02:02 तक
दोपहर 03:46 मिनट से शाम 05:30 तक
ऐसे करें पूजा
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद घर के मंदिर में साफ कपड़ा बिछाकर उसपर मां गायत्री की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद उनको फूल, अबीर, गुलाल, रोली, फूल, फल और कुमकुम आदि अर्पित करें। फिर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। पूजा के बाद मां गायत्री को भोग लगाएं और गायत्री मंत्र का जाप करें। इसके बार परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आरती करें। ऐसे पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।