नयी दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने शनिवार को महरौली के ऐतिहासिक जहाज महल में ‘फूल वालों की सैर’ के समापन समारोह में शामिल हुईं और राष्ट्रीय राजधानी की गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखने व विविधता में एकता को बढ़ावा देने में इस त्यौहार की भूमिका पर जोर दिया। आतिशी ने कहा, ‘फूल वालों की सैर’ महज एक त्यौहार नहीं है। यह त्यौहार, दिल्ली की गंगा-जमुनी तहजीब की सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखता है और मानवता का संदेश फैलाता है।” सभी समुदायों को साथ लाने वाले इस प्रसिद्ध त्यौहार में पूरे भारत से आए कलाकारों ने प्रस्तुति दी और कव्वाली ने माहौल को खुशनुमा बना दिया।
आतिशी ने सभा को संबोधित करते हुए दिल्ली में अपनी बचपन की यादें साझा कीं और शहर की एकजुटता की भावना को रेखांकित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में पली-बढ़ी आतिशी ने एक ऐसे माहौल का अनुभव किया, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के त्यौहार सामूहिक रूप से मनाए जाते हैं। आतिशी के माता-पिता दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्होंने कहा, “लंबे समय तक मुझे यह भी नहीं पता था कि कौन सा त्यौहार किस धर्म से संबंधित है।”
आतिशी ने समाज में विभाजनकारी प्रवृत्तियों के बीच एकता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, “दिल्ली का सबसे बड़ा आकर्षण उसके दिलदार लोगों में है, जो ‘फूल वालों की सैर’ जैसे त्योहारों को मानवता के उत्सव के रूप में मनाते हैं। हमें इस भावना को संजोना और संरक्षित करना चाहिए।” उन्होंने राजनेताओं से लोगों को बांटने के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार देने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
आतिशी ने पिछले एक दशक में दिल्ली सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि वंचित बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हम दिल्ली के लोगों की सेवा करने का प्रयास करते हैं और उनका प्यार व आशीर्वाद ही हमारा सबसे बड़ा पुरस्कार है।”