By नीरज कुमार दुबे | Dec 18, 2024
मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में एक देश, एक चुनाव संबंधी विधेयक पेश किया गया। इस दौरान हुए मत विभाजन के दौरान भाजपा के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे जिससे मोदी सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। हम आपको बता दें कि इस महत्वपूर्ण समय पर अनुपस्थित रहने वाले सांसदों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, गिरिराज सिंह, सीआर पाटिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और भागीरथ चौधरी के अलावा कई नामी सांसद हैं। भाजपा ने अनुपस्थित रहने वाले सांसदों को नोटिस भेज कर कारण पूछा है और उनकी अनुपस्थिति की जांच कर रही है।
हम आपको बता दें कि भाजपा ने तीन लाइन का एक व्हिप जारी करके अपने सभी सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने को कहा था, लेकिन इतने सारे सांसदों की अनुपस्थिति से पार्टी नेतृत्व नाराज है। हालांकि, बताया जा रहा है कि कई सांसदों ने व्यक्तिगत और काम से संबंधित कारणों से अपनी अनुपस्थिति के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था। एक वरिष्ठ नेता ने इस बारे में कहा, ‘‘हम उनकी अनुपस्थिति के पीछे के कारणों की निश्चित रूप से जांच कर रहे हैं। कुछ के पास वास्तविक कारण थे।’’ भाजपा इस बात पर भी गौर कर रही है कि सहयोगी दलों के सांसद किन कारणों से अनुपस्थित रहे थे। दरअसल इस विधेयक को पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत जरूरी है लेकिन अगर भाजपा को अपने सहयोगी दलों का ही साथ नहीं मिलेगा तो इस पर आगे बढ़ना मुश्किल हो जायेगा।
जहां तक भाजपा सांसदों की अनुपस्थिति की बात है तो इसके बारे में सूत्रों ने बताया है कि केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल सहित कुछ सांसद राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रम में व्यस्त थे। उन्होंने बताया कि मतदान के दौरान भाजपा के सहयोगी दलों के चार से पांच सांसद भी मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस पर भी गौर किया जा रहा है। हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर भाजपा संसदीय दल की बैठकों में सभी सांसदों को पूरे सत्र के दौरान उपस्थित रहने के लिए कहते हैं। प्रधानमंत्री कई बार सांसदों को कह चुके हैं कि उनके कामकाज पर निगाह रखी जाती है। देखना होगा कि इतनी बड़ी संख्या में पार्टी सांसदों की अनुपस्थिति पर प्रधानमंत्री का क्या रुख रहता है।
हम आपको बता दें कि सरकार ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले विधेयक को विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच मंगलवार को निचले सदन में पेश किया था। विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 269 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े थे। बहरहाल, भाजपा सांसदों की अनुपस्थिति पर विपक्ष ने जोरदार कटाक्ष किया है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा, "वहां वोटिंग हुई जिसमें तय हुआ कि इसे पेश किया जाए या सीधे जेपीसी के पास भेजा जाए। उस वोटिंग में खुद बीजेपी के 20 सांसद गायब पाए गए थे। इससे पता चलता है कि व्हिप जारी करने के बावजूद उनके पास जिस तरह का नियंत्रण था, लोगों ने उसकी अवहेलना करना चुना। ये अपने आप में एक बड़ी कहानी है इसलिए, इस विधेयक को लाने में दो-तिहाई बहुमत के बारे में सोचने से पहले, उन्हें खुद को इस शर्मिंदगी से बचाना चाहिए ताकि इस तरह का मतदान पैटर्न दोहराया न जाए। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव जेपीसी के पास चला गया है। हम जानते हैं कि यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है, यह इस देश के संविधान के खिलाफ है और हम इसके खिलाफ लड़ना जारी रखेंगे।