हिमाचल के प्राचीन कालेशवर महादेव मंदिर में तोडफोड , इस मंदिर में पांडवों ने भी तपस्या की थी

By विजयेन्दर शर्मा | Oct 19, 2021

शिमला ।  हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के पौराणिक महत्व के प्रसिद्ध कालेशवर महादेव मंदिर में हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भारी तोडपफोड की है। जिससे इलाके में लोगों में भारी रोष है। ऐतिहासिक महत्व के इस हिन्दू मदिर की देखरेख पुरातत्व विभाग व राज्य सरकार के पास है। लेकिन असमाजिक तत्व बेखौफ होकर अपनी कार्रवाई करते रहे व सरकारी अमला बेखबर रहा। 

 

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मंदिर में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के मुताबिक कालेशवर महादेव मंदिर में उस समय हंगामा खडा हो गया, जब युवाओं का एक जत्था जिनके गले में भगवा पटके डाले हुये देखे गये ने हर हर महादेव का उद्घोष करते हुये मंदिर में प्रवेश किया। जिससे वहां अफरा तफरी फैल गई।  यह युवा अपने आपको एक हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता बता रहे थे। उसके बाद यह लोग गृभग्रह में गये, जहां उन्होंने तोडफोड शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि उग्र युवाओं ने गृभग्रह में प्रवेश द्धार पर लगी प्लेट को हथौडे की मदद से उखाड दिया। इस प्लेट पर गैर हिन्दी भाषा में शब्द अंकित थे। जिसमें बताया गया था कि यहां मंदिर में निर्माण कार्य कराया गया है। लेकिन उग्र युवाओं को कथित तौर पर उस पर आपत्ति थी। कि हिन्दू मंदिर में किसी गैर हिन्दू भाषा में यह शब्द क्यों अंकित हैं। तोडफोड करने के बाद युवक वहां से चले गये।

 

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प्रशासन की ओर से मंदिर में तैनात चौकीदार राकेश कुमार ने बताया कि मंदिर में भगवा पटके डालकर पांच छह युवा आये व उन्होंने मंदिर में प्रचान काल से दरवाजे पर लगी प्लेट को हथौडे की मदद से उखाड लिया। व साथ में ले गये।  बाद में मैने तहसीलदार को सूचित कर दिया। उसके बाद रक्कड से पुलिस आई व युवकों की पहचान कर ली गई । आगे पुलिस ने क्या किया मुझे नहीं पता। इस मामले पर रक्कड पुलिस से संपर्क करने पर तैनात सुरक्षा कर्मी ने बताया कि मामले पर एसएचओ चिरंजी लाल ही बता सकते हैं। समाचार लिखे जाने तक एसएचओ से संपर्क नहीं हो पाया है।   

 

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महाकालेश्वर मंदिर में बैसाखी मेले का विशेष महत्त्व है। प्राचीन कालीनाथ महोदव का ऐतिहासिक मंदिर देहरा उपमंडल के कालेश्वर में व्यास नदी के तट पर स्थित है। लोगों का विश्वास है कि हरिद्वार एवं अन्य तीर्थ स्थलों की भांति ही इस पवित्र स्थल पर स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता है। उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाद कालेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके गर्भगृह में ज्योर्तिलिंग स्थापित है। यहां शिवलिंग जलहरी से नीचे स्थित है।

 

 

कालेश्वर में स्थित कालीनाथ मंदिर का इतिहास पांडवों से जुड़ा है। जनश्रुति के अनुसार इस स्थल पर पांडव अज्ञातवास के दौरान आए थे। इसका प्रमाण व्यास नदी तट पर उनके द्वार बनाई गई पौडि़यों से मिलता है। बताया जाता है कि पांडव जब यहां आए तो भारत के पांच प्रसिद्ध तीर्थों हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, नासिक व रामेश्वरम का जल अपने साथ लाए थे और जल को यहां स्थित तालाब में डाल दिया था, जिसे पंचतीर्थी के नाम से जाना जाता है। तभी से पंचतीर्थी तथा व्यास नदी में स्नान को हरिद्वार स्नान के तुल्य माना गया है। इस मंदिर परिसर में कालीनाथ के अतिरिक्त राधा कृष्ण, रुद्र, पांच शिवालय सहित नौ मंदिर तथा 20 मूर्तियां अवस्थित हैं।

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