By अभिनय आकाश | Sep 30, 2021
एक साल पहले बीमारी की वजह से शिंजो आबे ने अपना पद छोड़ने का फैसला किया था। योशीहिदे सुगा ने जापान की सत्ता की बागडोर संभाली थी। जापान के डिप्लोमेट रहे फुमिओ किशिदा देश के नए प्रधानमंत्री बनने की तरफ अपना कदम बढ़ा चुके हैं। किशिदा ने सत्ताधारी पार्टी के नेता का चुनाव जीत लिया है। चुनाव जीतते ही किशिदा देश के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं। किशिदा जापान के पूर्व विदेश मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने लिबरल डिमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया और प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा की जगह ली। सुगा एक साल बाद अब अपना पद छोड़ने वाले हैं। पिछले साल सुगा को उस वक्त पीएम बनाया गया था, जब तत्कालीन पीएम शिजों आबे ने बीमारी की वजह से अपना पद छोड़ने का फैसला किया था। लिबरल डिमोक्रेटिक पार्टी को किशिदा के तौर पर एक नया नेता मिला है।
प्रधानमंत्री की रेस में थे चार उम्मीदवार
जापान के प्रधानमंत्री की रेस में शामिल चार उम्मीदवारों में से दो महिलाएं भी थीं। साने ताकाइची और सेइको नोडा जिन्होंने प्रधानमंत्री पद के चुनाव में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेतृत्व के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। अगर इन दोनों महिलाओं में से किसी एक को भी जीत मिलती तो जापान में पहली बार कोई महिला प्रधानमंत्री बनतीं। इसके अलावा वैक्सीन मंत्री 58 वर्षीय तारो कोनो और पूर्व विदेश मंत्री फूमियो किशिदा थे। लेकिन सभी को पछाड़ते हुए फुमियो किशिदा ने बाजी मार ली।
वैक्सीन मंत्री को हराया
पिछले साल सितंबर में पार्टी के प्रमुख का पद संभालने के महज एक साल बाद ही सुगा यह पद छोड़ रहे हैं। किशिदा ने पार्टी के नेता पद के मुकाबले में लोकप्रिय टीकाकरण मंत्री तारो कोनो को हराया। 58 वर्षीय तारो कोनो जापान के पूर्व विदेश और रक्षा मंत्री थे और वर्तमान में कोविड-19 वैक्सीन के प्रभारी मंत्री भी थे। पहले चरण के चुनाव में, उन्होंने दो महिला उम्मीदवारों सना तकाइची और सेइको नोडा को पराजित किया था। दूसरे चरण के चुनाव में, 170 के मुकाबले 257 वोटों से मिली शानदार जीत से यह प्रदर्शित होता है कि किशिदा को अपनी पार्टी के दिग्गजों का समर्थन मिला, जिन्होंने कोनो द्वारा समर्थित बदलाव के बजाय स्थिरता को चुना। कोनो को स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है।
कौन हैं फुमियो किशिदा?
फुमियो किशिदा का जन्म 29 जुलाई 1957 में मिनामी-कु हिरोशिमा में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता और दादा पूर्व राजनेता थे। पूर्व प्रधान मंत्री कीची मियाज़ावा किशिदा के दूर के रिश्तेदार हैं। 1993 में राजनीति में आने से पहले जापान के अब-निष्क्रिय लॉन्ग-टर्म क्रेडिट बैंक में काम करते थे। फिर किशिदा प्रतिनिधि सभा के सदस्य के सचिव के रूप में काम करने लगे। उन्हें बेसबॉल का भी शौकीन माना जाता है। मगर लॉ एंट्रेंस में तीन बार फेल हो चुके हैं। किशिदा स्कूल में एक उत्सुक बेसबॉल खिलाड़ी थे लेकिन टोक्यो यूनिवर्सिटी के लिए लॉ की प्रवेश परीक्षा पास करने में तीन बार फेल हुए। इसके बाद उन्होंने टोक्यो के ही एक प्रतिष्ठित निजी यूनिवर्सिटी वासेदा में पढ़ाई पूरी की। महामारी के समय लोगों की राय जानने को उन्होंने सुझाव पेटी रखवाई थी।
ऐसा रहा राजनीतिक सफर...
पूर्व विदेश मंत्री फुमियो किशिदा को एक नरम-उदारवादी राजनेता के रूप में जाना जाता है। किशिदा को लंबे समय से प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था। 64 वर्षीय फुमियो किशिदा एलडीपी के नीति प्रमुख के रूप में कार्य कर चुके हैं। फुमिओ किशिदा 2012-2017 के बीच विदेश मंत्री रहे हैं। फिर 1993 के आम चुनाव में हिरोशिमा प्रथम जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए वह प्रतिनिधि सभा पहुंचे। किशिदा जापान एवं अमेरिका के बीच करीबी सहयोग और एशिया एवं यूरोप में समान विचारों वाले अन्य देशों के साथ साझेदारी का समर्थन करते हैं, जिसका एक उद्देश्य चीन और परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया का मुकाबला करना भी है। वह परमाणु निरस्त्रीकरण के पैरोकार हैं। उन्होंने ओबामा को हिरोशिमा की ऐतिहासिक यात्रा कराई थी। वह पीएम पद के लिए तभी से कोशिश कर रहे थे जब शिंजो आबे ने पिछले साल पद छोड़ा था। किशिदा, 2020 में सुगा से पार्टी नेतृत्व की दौड़ में हार गये थे।
सामने क्या होगी चुनौती
जापान में नई सरकार दुनिया के लिहाज से भी अहम है। जापान तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत में भी मेट्रो से लेकर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट तक में जापान मदद दे रहा है। किशिदा हिरोशिमा से तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। नए नेता पर पार्टी की छवि को सुधारने का दबाव होगा, जो सुगा के नेतृत्व में खराब हुई है। कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तौर तरीकों और तोक्यो में ओलंपिक कराने पर अड़े रहने को लेकर सुगा ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया। परंपरावादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) को आने वाले दो महीनों में संसद के निचले सदन के चुनाव से पहले शीघ्र ही जन समर्थन अपने पक्ष में करने की जरूरत है। अपने विजय भाषण में किशिदा ने कोविड-19, महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और घटती जनसंख्या तथा जन्मदर की समस्याओं सहित राष्ट्रीय संकटों से निपटने का वादा किया। उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने वाले एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के जरिए जापान के भविष्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाएंगे। किशिदा ने कहा कि उन्होंने अतीत में कई मतदाताओं से यह शिकायत सुनी है कि उनकी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा लोकतंत्र संकट में है। मुझमें लोगों को सुनने का विशेष कौशल है। मैं एक कहीं अधिक खुली एलडीपी और आप सभी के साथ जापान के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाने की कोशिश करने को लेकर कटिबद्ध हूं।’’ किशिदा ने जापान की रक्षा क्षमता और बजट बढ़ाने का आह्वान किया है और उन्होंने स्व शासित ताईवान को लेकर उपजे तनाव पर चीन के खिलाफ खड़े रहने का संकल्प लिया है। किशिदा ने अपने ‘‘नव पूंजीवाद’’ के तहत वृद्धि और वितरण का आह्वान करते हुए कहा कि जापान में सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था ने केवल बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया।
-अभिनय आकाश