बाहुबली विधायक से दुष्कर्म का दोषी करार दिए जाने की पूरी कहानी

By अभिनय आकाश | Dec 18, 2019

एक विधायक उन्नाव की एक बेटी के चरित्र से लेकर उसके साहस और सम्मान तक की धज्जी उड़ा देता है। पुलिस से लेकर पूरा सिस्टम तक उसकी कठपुतली बन जाता है। रेप पीड़िता को न्याय के लिए आत्मदाह का प्रयास करना पड़ा। जिस न्याय के लिए एक पिता को अपने प्राण गंवाने पड़े। उस न्याय पर सबसे बड़ी अदालत का फैसला आने के बाद पूरे मामले पर बात करना तो बेहद ही जरूरी है। 

 

कुलदीप सिंह सेंगर, नाम तो जानते होंगे आप मुस्तफा खां ने झूठ नहीं लिखा था कि बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा। समझ लीजिए कुलदीप सिंह सेंगर सियासत में इस सेर को गोलगप्पे के पानी की तरह घोंट गया था। उन्नाव केस तो याद ही होगा नहीं याद तो हम याद दिलाते हैं। पूरी कहानी बताने से पहले आपको निलंबित विधायक के तीन परिचय सुना देते हैं। 

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- कुलदीप सेंगर का पहला परिचय- नाबालिग से गैंगरेप का दोषी है। 

- कुलदीप सेंगर का दूसरा परिचय- पुलिस उसके लिए आरोपी के पिता को थाने में मार डालती है। 

- कुलदीप सेंगर का तीसरा परिचय- पूरा सिस्टम उसके सामने थर-थर कांपता है।

 

2017 के जून में यूपी की राजनीति में खलबली मच जाती है। 17 साल की एक लड़की कहती है कि उसका सामूहिक रेप हो रहा है। मुख्य आरोपी होता है बीजेपी का विधायक कुलदीप सिंह सेंगर। सूबे में बीजेपी की ही सरकार होती है। मामला दर्ज नहीं हो पाता। पुलिस उल्टे पीड़िता के पिता को उठाकर बंद कर देती है। तहरीर देने वाले चाचा को भी पुलिस थाने में बंद कर देती है। पीड़िता मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश करती है। मुद्दा सत्ताधारी पक्ष के विधायक का होने के कारण राष्ट्रीय हो जाता है। और आखिरकार मामला सीबीआई को सौंपा जाता है। सेंगर को गिरफ्तार करना पड़ता है। सीबीआई की जांच चल ही रही थी कि दो साल बाद एक हादसा होता है। 28 जुलाई 2019 की बात है पीड़िता अपनी चाची, अपनी मौसी और वकील के साथ चाचा से मिलने रायबरेली जेल जा रही थी। दिन के डेढ़ बज रहे थे। अचानक तेज रफ्तार से आता हुआ ट्रक कार के परखच्चे उड़ा देता है। पीड़िता की मौसी और चाची की तो मौके पर ही मौत हो जाती है। पीड़िता को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।

 

इतिहास में सत्ता, पुलिस, बलात्कारियों और हत्यारों का इससे बर्बर गठजोड़ नहीं देख सकते। इसे बेशर्मी ही कहेंगे कि उत्तर प्रदेश पुलिस के निकम्मेपन की वजह से गैंगरेप का केस सीबीआई को सौंपा गया। और उस पर भी बेशर्मी का विस्तार देखिए कि उसी केस के गवाह की हत्या का मामला भी सीबीआई को देने की तैयारी हुई। 

 

यूपी में इस विधायक की ताकत इतनी बड़ी होती है इसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते हैं। भले वो विधायक पुलिस और सीबीआई के रोजनामचे में बदचलन हो बेहाया हो बलात्कारी हो। पीड़िता के पिता को थाने में मार डाला गया। उल्टा केस दर्ज कराने वाले चाचा को जेल में बंद कर दिया। पीड़िता की चाची और मौसी को कुचल कर मार डाला गया। आरोपी विधायक की जलवाफरोशी का ये आलम था कि यूपी के पुलिस कप्तान की जुबान भी आदर के अल्फाज निकालते हैं। 

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गैंगरेप का आरोपी कुलदीप सेंगर जब चलता था तो थानेदार हाथ जोड़े खड़े रहते थे। एसएसपी चाय पिलाकर अपने आप को धन्य महसूस करता था। और डीजीपी टाइप के अफसर थरथर कांपते थे। और थरथर कांपता रहा इंसाफ का तराजू। याद कीजिए गैंगरेप की पीड़िता जान बचाने के लिए भागती फिर रही थी और कुलदीप सेंगर सत्ता के मजे लूट रहा था। 

 

अब आते हैं इस पूरे मामले के वर्तमान पर। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने फैसला सुना दिया। बीजेपी से निष्कासित बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को साल 2017 के अपहरण औऱ रेप के मामले में दोषी करार दिया गया है। फैसला सुनाते हुए जिला और सेशन जज धर्मेश शर्मा ने कहा सेंगर ताकतवर इंसान था। पीड़िता गांव की एक लड़की थी। कॉस्मोपॉलिटन एरिया से नहीं थी इसलिए उसे केस फाइल करने में देरी हुई। हमें उसके बयान में सच्चाई दिखाई दी उसका रेप हुआ था और आगे धमकी दी जा रही थी। उन्नाव रेप केस कोई मामूली रेप केस नहीं था। बल्कि ये योगी सरकार के गले की फांस बन गया था। 

उन्नाव रेप से जुड़े हुए पांच मामले कोर्ट के पास हैं फैसला एक पर ही आया है। आपको बाकी के चार मामलों के बारे में भी बता देते हैं। जिनपर फैसला आना बाकी है। 

 

- पीड़िता के पिता को किस केस के तहत गिरफ्तार किया गया।

- पुलिस की कस्टडी में पीड़िता के पिता की मौत हुई थी। 

- पीड़िता का एक्सीडेंट जिसकी साजिश रचने का इल्जाम सेंगर पर है। 

 

इस रेप केस के आलावा पीड़िता का एक और गैंगरेप का केस कोर्ट में है। इस केस में अक्टूबर में सीबीआई ने चार्जशीट फाइल कर दी थी और कहा था कि लड़की का गैंगरेप 11 जून 2017 को हुआ था। यानी सेंगर द्वारा किए गए गैंगरेप के बाद। तीन लोगों द्वारा गैंगरेप किया गया था। उस वक्त वो नाबालिग थी। चार्जशीट के मुताबिक तीनों आदमियों का नाम है नरेश तिवारी, ब्रिजेश यादव सिंह और शुभम सिंह। अब बताते हैं कि कब क्या हुआ। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक 4 जून 2017 के दिन कुलदीप सेंगर ने लड़की का रेप किया तब वो 17 साल की थी। सेंगर ने धमकी दी उस लड़की को की मुंह खोला तो जान से मार दिया जाएगा। फिर 11 जून 2017 के दिन तीन लोगों ने लड़की का किडनैप करके गैंगरेप किया। रेप पीड़िता के पिता की शिकायत पर कुलदीप सेंगर की करीबी महिला शशि सिंह के बेटे शुभम सिंह, नरेश तिवारी और ब्रजेश यादव को बेचने और गायब करने की रिपोर्ट दर्ज कराई। 20 जून 2017 को पुलिस लड़की को खोज लाई और शशि को क्लीन चिट दी, बाकी को जेल भेज दिया। विधायक ने पैरवी की और आरोपी छूट गया। विधायक और पीड़िता के पिता की बहस हुई और रंजिश में बदल गई। बलात्कार के आरोपियों ने पीड़िता के पिता को थाने में इतना पीटा कि वो मर गया। इलाहबाद हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस की बेहायाई को 2017 में सलीक पर टांग दिया था और तब जाकर माननीय विधायक गिरफ्तार हुआ था। 

 

लोकतंत्र का नसीब देखिए कि बीजेपी के एक महाराज जब एमपी चुने जाते हैं तो बलात्कार के आरोपी को सलाम ठोकने उन्नाव जेल पहुंच जाते हैं। उसकी महिमा गाते हैं उसे महान बताते हैं। 

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ये वो लोग हैं जो हैं जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करते हैं और बलात्कारियों को प्रणाम करने जेल तक पहुंच जाते हैं। जिनकी चाल से बेटियां दहशत से भर जाती हैं। जिनके राज में बेटियों के बाप थाने में मार दिए जाते हैं। जिनके राज में बेटी के रिश्तेदारों को रास्ते में कुचल दिया जाता है। हिंदी की मशहूर लाईन है सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। ऐसा ही कुछ इस जलवाफरोश विधायक के मामले में भी देखने को मिला। जिसके चलने पर कभी थानेदार हाथ जोड़े नजर आते थे आज उसकी सारी हेकड़ी कानूनी शिकंजे में दम तोड़ गई और अदालत ने सीधे-सीधे बता दिया कि अपने कोर्ट अपने दरबार में तुम जो होगे वो होगे, सबसे बड़ी अदालत में तो सिर्फ हम ही हम हैं।

 

- अभिनय आकाश

 

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