हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में फुल कोर्ट का रेफरेंस का आयोजन

By विजयेन्दर शर्मा | Oct 19, 2021

शिमला  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 26वें मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफ़ीक के सम्मान में आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में फुल कोर्ट रेफरेंस का आयोजन किया गया। उन्होंने 14 अक्तूबर, 2021 को हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी।

 

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फुल कोर्ट रेफरेंस की कार्यवाही का संचालन रजिस्ट्रार जनरल वीरेंद्र सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश के इस प्रतिष्ठित उच्च न्यायालय के 26वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने पर प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं, जिसमें देश को कई प्रख्यात न्यायविद दिए हैं। उन्होंने विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को आसानी से सुलभ, त्वरित और लागत प्रभावी न्याय प्रदान करने पर विशेष बल दिया और राज्य तथा जिला कानूनी सेवाएं प्राधिकरणों से ऐसे सभी वादियों की पहचान करने का आहवान किया, जो निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं।

 

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उन्होंने सभी वरिष्ठ और अन्य अधिवक्ताओं से हर साल ऐसे वादियों के लिए कम से कम पांच प्रो बोनो मामलों का संचालन करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका को निचले स्तर से मजबूत और सुव्यवस्थित करने पर भी बल दिया और कहा कि इसकी अखंडता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए सशक्त प्रयास किए जाने चाहिए ताकि इसे वास्तविक अर्थों में न्याय का एक साधन बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए और राज्य में उच्च न्यायालय के साथ-साथ जिला न्यायपालिका में लंबित मामलों को ध्यान में रखते हुए, उन सभी मामलों को निपटाने की प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो पांच साल से अधिक पुराने हैं।


 

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न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक ने कहा कि उन्हें प्रभावी और त्वरित न्याय प्रदान करने के संयुक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित व्यक्तियों से पूर्ण सहयोग की आशा है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में न्याय प्रशासन के समग्र हित के लिए बार के सदस्यों, वादियों और न्यायिक कर्मचारियों की वास्तविक समस्याओं का समाधान  करने का आश्वासन दिया। न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके शब्द उन्हें इस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की शक्ति प्रदान करेंगे।



न्यायमूर्ति सबीना ने मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने पर न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक का स्वागत करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति रफ़ीक समाज के सभी वर्गों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। समाज के हाशिए पर और वंचित वर्ग के लिए उनकी चिंता उनके व्यक्तित्व का सर्वविदित पहलू है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रफीक ने सदैव न्यायिक बुनियादी अधोसंरचना के विकास को विशेष महत्व प्रदान किया है, वह न्यायिक वर्ग की भलाई के बारे में भी बहुत चिंतित हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने पहले न्यायमूर्ति मोहम्मद रफ़ीक के साथ काम किया है और वह राजस्थान उच्च न्यायालय में सहयोगी थे। उन्होंने कहा कि यह अनोखा संयोग है कि हाल ही के दिनों में न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक के मेघालय उच्च के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने पर जोधपुर में न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक की विदाई समारोह में शामिल हुई थीं और अब वह शिमला शहर में उनका स्वागत कर रही हैं।



 महाधिवक्ता अशोक शर्मा, हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष अजय कोछड़, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष लवनीश कंवर और भारत के अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल बलराम शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए और नए मुख्य न्यायाधीश का स्वागत किया।



हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चैहान, न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बरोवालिया, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य भी फुल कोर्ट अड्रेस में शामिल हुए।



भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, हिमाचल प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.एस. राणा एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.पी. सूद, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल और न्यायमूर्ति वी.के. शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अन्य रजिस्ट्रार, अधिकारी और रजिस्ट्री के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।



न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक का जन्म राजस्थान में चुरू जिला के सुजानगढ़ में 25 मई, 1960 को हुआ। उन्होंने 8 जुलाई, 1984 को राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद अधिवक्ता के रूप में कार्य आरम्भ किया। उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में विधि की लगभग सभी शाखाओं में प्रैक्टिस की।



उन्होंने 15 जुलाई, 1986 से 21 दिसम्बर, 1987 तक राजस्थान राज्य के सहायक राजकीय अधिवक्ता और 22 दिसम्बर, 1987 से 29 जून, 1990 तक उप राजकीय अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1993 से 1998 तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से उच्च न्यायालय के पैनल अधिवक्ता के रूप में पैरवी की। उन्होंने वर्ष 1992 से 2001 तक स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में उच्च न्यायालय के समक्ष यूनियन आॅफ इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष भारतीय रेलवे, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड, जयपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड और जयपुर नगर निगम का प्रतिनिधित्व भी किया।



वह 7 जनवरी, 1999 को राजस्थान राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किए गए और बैंच के लिए स्तरोन्नत होने तक इसी पद पर कार्यरत रहे। वह 15 मई, 2006 को राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। वह 7 अप्रैल, 2019 से 4 मई, 2019 और 23 सितम्बर, 2019 से 5 अक्तूबर 2019 तक दो बार राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। मुख्य न्यायाधीश बनने से पूर्व वह राजस्थान राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश भी रहे। वह 13 नवम्बर, 2019 से 26 अप्रैल, 2020 तक मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे। मेघालय उच्च न्यायालय से स्थानान्तरित किए जाने के बाद 27 अप्रैल, 2020 को न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की।



वह भारतीय विधि संस्थान व इसकी गवर्निंग काउंसिल के लाइफ मैम्बर हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय की विभिन्न समितियों के सदस्य होने के अतिरिक्त उन्होंने मीडिएशन एंड आरबिटेªशन प्रोजेक्ट कमेटी, कम्प्यट्रीकरण के लिए बनाई गई स्टीयरिंग कमेटी, रूल्ज कमेटी, एरियर कमेटी, एग्जामिनेशन कमेटी, बिल्डिंग कमेटी और लाइब्रेरी कमेटी की अध्यक्षता भी की। वह पांच वर्ष तक जयपुर उच्च न्यायालय के मीडिएशन सेंटर के प्रभारी और उसी दौरान तीन वर्ष तक राजस्थान न्यायालय विधिक सेवाएं कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने आरबीट्रेशन एंड काॅउंसिलेशन एक्ट-1996 के अनुभाग-11 के अनुसार कम्पनी कोर्ट जज तथा नामित जज के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने तीन वर्ष तक राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ में कर्मिशियल एपिलेट डिवीजन की अध्यक्षता की।



उड़ीसा उच्च न्यायालय से स्थानान्तरित किए जाने पर 3 जनवरी, 2021 को उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली। उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से स्थानान्तरण के पश्चात 14 अक्तूबर, 2021 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ग्रहण की।

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