Lookback Politics 2024: सीताराम येचुरी, सुशील मोदी से लेकर बाबा सिद्दीकी तक, वो भारतीय राजनेता जिन्हें इस साल दुनिया को कहा अलविदा

By अभिनय आकाश | Dec 17, 2024

दिसबंर का महीना चल रहा है और साल खत्म होने को है। साल 2024 वैसे तो विभिन्न कारणों से याद रखा जाएगा। इनमें से कुछ अच्छे तो कुछ नम करने वाले भी रहे हैं। 2024 में जो प्रमुख चीजें हुईं, उनमें देश को राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण नुकसान हुआ। ऐसे में आपको कुछ प्रमुख राजनेताओं के नाम बताते हैं जिन्होंने साल 2024 में दुनिया को अलविदा कह दिया। 

ईवीकेएस एलंगोवन: अनुभवी कांग्रेस नेता और तमिलनाडु कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ईवीकेएस एलंगोवन का 14 दिसंबर को निधन हो गया। फेफड़ों से संबंधित समस्या के कारण एलंगोवन का दो सप्ताह से अधिक समय तक गहन उपचार चला। वह इरोड पूर्व विधायक और पूर्व गोबिचेट्टीपलायम लोकसभा थे। उन्होंने 2004 और 2009 के बीच पीएम मनमोहन सिंह के तहत केंद्रीय कपड़ा मंत्री के रूप में कार्य किया।

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बाबा सिद्दीकी: 12 अक्टूबर को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के खेरनगर इलाके में अपराधियों की गोली का शिकार हुए पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी बॉलीवुड सितारों के बीच काफी लोकप्रिय थे और कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने पीड़ितों की विभिन्न प्रकार से सेवाएं करके काफी तारीफ बटोरी थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। देश में जब कोविड-19 का प्रकोप चरम पर था तो 66-वर्षीय राकांपा नेता ने जरूरतमंद मरीजों के लिए उन दवाओं की व्यवस्था की थी, जिनकी बड़े पैमाने पर आवश्यकता थी। सिद्दीकी रमजान के महीने में भव्य इफ्तार का आयोजन करने के लिए भी जाने जाते थे। इसमें बॉलीवुड के प्रसिद्ध सितारे शामिल होते थे। सिद्दीकी ने विधानसभा में तीन बार बांद्रा (पश्चिम) सीट का प्रतिनिधित्व किया था। मुंबई के एक प्रमुख मुस्लिम नेता सिद्दीकी को सलमान खान, शाहरुख खान और संजय दत्त सहित बॉलीवुड के कई सितारों के करीबी के रूप में भी जाना जाता था।

सीताराम येचुरी:  मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पांचवें महासचिव सीताराम येचुरी देश में वामपंथ के सर्वाधिक पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक थे और वह एक ऐसे उदार वामपंथी नेता थे जिनके मित्र सभी राजनीतिक दलों में थे। येचुरी का 72 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। येचुरी को 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। येचुरी ने पार्टी के दिवंगत नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के मार्गदर्शन में काम सीखा, जो 1989 में गठित वी.पी. सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार और 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान गठबंधन युग में एक प्रमुख नेता थे। इन दोनों ही सरकारों को माकपा ने बाहर से समर्थन दिया था। संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने में येचुरी ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ काम किया था। सुरजीत के शिष्य ने गठबंधन बनाने की उनकी विरासत को जारी रखा और 2004 में वाम दलों के समर्थन से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई। येचुरी ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर संप्रग सरकार के साथ चर्चा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

जित्ता बालकृष्ण रेड्डी: बीआरएस नेता और पूर्व टीआरएस युवा कार्यकर्ता, रेड्डी का 6 सितंबर को 52 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें तेलंगाना राज्य के लिए उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उनका निधन बीआरएस के लिए एक बड़ा झटका है और पार्टी में एक खालीपन आ गया है जिसे केसीआर के लिए भरना मुश्किल होगा।

नटवर सिंह: के नटवर सिंह ऐसे शख्स थे, जिन्होंने कूटनीति और राजनीति के क्षेत्र में तो एक खास पहचान बनाई ही, लेकिन जब लेखन के क्षेत्र में उन्होंने हाथ आजमाए, तो वहां भी उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इन खूबियों के अलावा उनके व्यक्तित्व की जिन खासियत ने उन्हें दशकों तक लोकप्रिय बनाए रखा, वह थी उनकी हाजिर जवाबी और साफगोई। नटवर सिंह की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी, लेकिन उनके पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ कभी बेहद घनिष्ट तो कभी बेहद तल्खी भरे रिश्ते रहे। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिर उनके बेटे राजीव गांधी का बेहद खास या करीबी माना जाता था, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले कार्यकाल में उनके ऊपर कुछ आरोप लगे, जिसके बाद सोनिया गांधी के साथ पहले उनका मनमुटाव हुआ और फिर धीरे-धीरे रिश्ते तल्ख होते चले गए। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का 10 अगस्त 2024 को निधन हो गया था। 

सुशील मोदी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का 13 मई 2024 को निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। अपने तीन दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन के दौरान सुशील कुमार मोदी ने विधायक, एमएलसी और लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। सुशील मोदी 1990 में पहली बार पटना मध्य निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने और उन्हें भाजपा विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया। वर्ष 1996 से 2004 तक वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। वह 2004 में भागलपुर से लोकसभा सदस्य बने। उन्होंने 2005 में अपनी लोकसभा सदस्यता छोड़ दी और बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए, जिसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। वह 2020 में राज्यसभा के लिए चुने गए और इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए।

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