By अभिनय आकाश | Jul 30, 2020
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने वाले ऐतिहासिक फैसले को 5 अगस्त को एक वर्ष हो जाएगा। इस दौरान कश्मीर को लेकर देश में तो सियासत खूब हुई अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी इसे लेकर यात्रओं का दौर खूब चला। धारा 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए कभी यूरोपीय संघ तो कभी विदेशी राजनयिकों का डेलीगेशन पिछले एक बरस में लगातार दौरा करता रहा।
यूरोपीय दल का कश्मीर दौरा (अक्टूबर 2019)
साल 2019 यानी वो वर्ष जब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। धारा 370 निरस्त हुए दो-तीन महीने का वक्त ही गुजरा था कि यूरोपीय संघ के सांसदों का एक प्रतिनिधि मंडल दो रोज़ के ग़ैर सरकारी दौरे पर कश्मीर पहुँचा। पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद विदेशी राजनयिकों का घाटी का ये पहला दौरा रहा। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 5 अगस्त से अब तक न केवल भारतीय सांसदों को कश्मीर जाने से रोक रखा था। बल्कि विदेशी मीडिया और राजनयिकों को भी घाटी में जाने की इजाज़त नहीं दी थी। यूरोपियन यूनियन के सांसदों के एक दल ने जम्मू कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा किया। जिसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईयू डेलीगेशन ने कश्मीर में जो देखा, सुना और समझा वह व्यक्त किया। ईयू सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठाए गए। सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर के सरपंचों पंच के एक दल से मुलाकात की। इस मौके पर उन्होंने घाटी का हाल जानने की कोशिश की। मिली जानकारी के अनुसार कश्मीर के सरपंचों ने उन्हें स्थानीय परिस्थितयों से अवगत कराया।
विदेशी प्रतिनिधिमंडल का कश्मीर दौरा (जनवरी 2020)
9 जनवरी को 25 सदस्यीय विदेशी प्रतिनिधिमंडल कश्मीर आया था, जिसमें अमेरिकी राजदूत कैनेथ जस्टर भी शामिल थे। इस दौरान पीडीपी सरकार में मंत्री अल्ताफ बुखारी ने भी कुछ नेताओं के साथ प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी।
विदेशी राजनियकों का कश्मीर दौरा (फरवरी 2020)
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के हालात विशेषकर कश्मीर घाटी की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय संघ के 25 सांसदों ने दौरे के पहले दिन डल झील की सैर की। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के छह महीने बाद विदेशी राजनयिकों ने वहां के हालात जाने। 25 देशों के मिशनों के प्रमुखों ने जम्मू-कश्मीर में दो दिन बिताएइस प्रतिनिधिमंडल में जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, न्यूजीलैंड, मेक्सिको, इटली, अफगानिस्तान, चेक गणराज्य,नीदरलैंड्स, रवांडा, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, डॉमनिक रिपब्लिक, युगांडा, नामीबिया, बुल्गारिया, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और डेनमार्क के प्रतिनिधि शामिल थे।