UN में फ्रांस की तरफ से भारत को वीटो! चीन से भिड़ गया मोदी के दोस्त मैक्रों का मुल्क

By अभिनय आकाश | Jan 24, 2024

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि कई और देश और साझेदार परमानेंट मेंबर के तौर पर देखना चाहते हैं। यही कारण है कि कई देश इसका समर्थन करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन तक ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। वहीं एलएसी पर तनावपूर्ण संबंध रखने वाला चीन हर बार इसमें पेंच फंसाता नजर आया है। लेकिन चीन की दलीलों को इस बार बाकी देश जबरदस्त चुनौती देते नजर आ रहे हैं। बार-बार बाकी देश इस बात को दोहराते आए हैं कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। अब रूस के बाद फ्रांस भारत की स्थायी सदस्या को लेकर खुलकर बोल रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ्रांस ने फिर से इस बार अपनी इस बात को दोहराया है। 

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यूएनएससी में बदलाव की मांग

सुरक्षा परिषद सुधार पर बोलते हुए फ्रांस ने फिर से अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। फ्रांस ने दोहराया की सुरक्षा परिषद के सुधार में उसकी स्थिति ऐतिहासिक और स्थिर है। फ्रांस ने कहा कि वो आश्वस्त है कि परिषद का विस्तार करना इसकी वैधता और गतिशीलता को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। फ्रांस ने ये भी कहा कि सीरिया, यूक्रेन और मध्य पूर्व में लगातार आए संकटों ने केवल इस सुधार की तत्कालीकता को रेखांकित करने का काम किया है। यानी फ्रांस का मानना है कि यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कांउसिंल में अब बदलाव जल्द से जल्द होने चाहिए। बता दें कि फ्रांस ने भारत का नाम लेकर बदलाव की मांग की है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) क्या है?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किया गया था और इसकी स्थापना मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए 17 जनवरी, 1946 को की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, अमेरिका और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक संघ (यूएसएसआर) जर्मनी, इटली और जापान के खिलाफ मुख्य विजेता के रूप में उभरे। उनके साथ, यूनाइटेड किंगडम ने भी युद्धोत्तर राजनीतिक व्यवस्था को आकार दिया। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने चीन गणराज्य को शामिल करने की वकालत की और ब्रिटेन फ्रांस को समूह में शामिल करना चाहता था, क्योंकि वह देश को संभावित जर्मन आक्रामकता के खिलाफ एक बफर के रूप में देखता था। इस तरह यूएनएससी को अपने स्थायी पाँच या P5 देश मिले।

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यूएनएससी सदस्यता कैसे तय की जाती है?

कई वर्षों से भारत अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान के लिए तर्क देता रहा है, यह तर्क देते हुए कि वर्तमान निकाय प्रतिनिधित्व के मामले में सीमित है। यूएनएससी का 'स्थायी' सदस्य बनने के लिए, किसी देश को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो-तिहाई सदस्यों और सभी P5 देशों के समर्थन की आवश्यकता होगी। जहां पहली आवश्यकता को हासिल करना अपेक्षाकृत आसान है, वहीं दूसरी कठिन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति है। इस प्रकार, यदि एक देश किसी प्रस्ताव के विरुद्ध निर्णय लेता है, तो अन्य चार देशों के आम सहमति पर पहुंचने पर भी इसे पारित नहीं किया जाएगा। हालाँकि, इन सब से पहले 1945 में हस्ताक्षरित मूल संयुक्त राष्ट्र चार्टर में भी UNSC की स्थायी सीटों के विस्तार को बताते हुए संशोधन की आवश्यकता है।


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