By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 11, 2019
नयी दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को उनके कारोबार के वर्तमान ढ़ांचे के तहत बढ़े अधिभार की दर से किसी तरह की राहत देने से इनकार किया है। सीबीडीटी के चेयरमैन पी सी मोदी ने बुधवार को कहा कि विदेशी निवेशक यदि निचले अधिभार का लाभ लेना चाहते हैं तो उनके पास खुद को कॉरपोरेट इकाई में बदलने का विकल्प है और वे उस स्थिति में अधिभार की हल्की दरों का लाभ के पात्र हो सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: FPI ने जून के पहले सप्ताह में किया 7,095 करोड़ का शुद्ध निवेश
मोदी ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दो करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करने वाले लोगों पर अधिभार लगाने की पीछे विचार यह है कि जिन लोगों में अधिक कर देने की क्षमता है उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसा करना चाहिए। सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि आधार दर में बदलाव नहीं किया गया है। अधिभार में बदलाव हुआ है। इससे एफपीआई और वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) प्रभावित हुए हैं। लेकिन एक बार फिर उनके पास कॉरपोरेट ढांचा अपनाने का विकल्प है। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ कोई अलग बर्ताव हो रहा है।
इसे भी पढ़ें: FPI ने भारतीय पूंजी बाजार से अभी तक 6,399 करोड़ रुपये की निकासी की
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में अत्यधिक अमीर यानी धनाढ्यलोगों पर आयकर अधिभार बढ़ा दिया है। इससे करीब 40 प्रतिशत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) स्वत: तरीके से ऊंचे कर के दायरे में आ गए है। ये एफपीआई गैर कॉरपोरेट इकाई यानी ट्रस्ट या लोगों के एसोसिएशन के रूप में निवेश कर रहे हैं। आयकर कानून के तहत कराधान के उद्देश्य से यह एक व्यक्तिगत करदाता के रूप में वर्गीकृत है।
इसे भी पढ़ें: वैश्विक बाजारों में मजबूत रुख के बावजूद सोना स्थिर, चांदी फिसली
मोदी ने कहा कि अधिभार बढ़ाने का मकसद उन करदाताओं को लाभ देना है जो आयकर स्लैब के निचले स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि एक विकल्प कर दरों में बढ़ोतरी का था लेकिन इसे अनुकूल नहीं माना गया। विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के पूंजीगत लाभ पर अधिभार कम है। ऐसे में एफपीआई कम अधिभार देना चाहते हैं तो खुद को कंपनी में बदल सकते हैं। करीब 60 प्रतिशत एफपीआई या एफआईआई कंपनी मार्ग चुनकर आए हैं और वे कम अधिभार चुका रहे हैं।