Dr. Keshav Baliram Hedgewar Birth Anniversary: आरएसएस की स्थापना के अलावा महान क्रांतिकारी थे डॉ केशव हेडगेवार, अपने तरीके से लड़ी थी आजादी की लड़ाई

By अनन्या मिश्रा | Apr 01, 2024

कई बार कोई शख्स अपने काम से अपनी पहचान इतनी अधिक बनाता है कि उसका पूरा व्यक्तित्व और इतिहास उसी में छिप जाता है। बता दें कि डॉ केशव बलिराम हेडगेवार एक ऐसे ही शख्स हैं, जिनको आमतौर पर लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक के संस्थापक के तौर पर जानते हैं। हांलाकि यह उनका पूरा परिचय नहीं है। उन्होंने अपने दौर में आजादी की लड़ाई में भी योगदान दिया था। आज ही के दिन यानी की 01 अप्रैल को डॉ हेडगेवार का जन्म हुआ था। वह एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने देश की आजादी और देश की सेवा को ही अपना सब समझा था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।


जन्म और शिक्षा

नागपुर में तेलुगु बोलने वाले देशस्थ ऋग्वेदी सामान्य ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को हेडगेवार का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार और माता का नाम रेवतीबाई था। इन्होंने शुरूआती शिक्षा नील सिटी हाई स्कूल नागपुर से की। एक दौरान अंग्रेज अधिकारी के निरीक्षण के दौरान हेडगेवार ने वंदे मातरम गाया। जिसके बाद उनको स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। 

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इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई यवतमाल और फिर पूणे में किया। वहीं मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कलकत्ता से डॉक्टरी की पढ़ाई की। बहुत कम लोगों को इस बारे में जानकारी है कि वह एक क्रांतिकारी भी रहे। उनके बारे में बताया जाता है कि वह काफी समय तक कांग्रेस में समर्पित भाव से सक्रिय थे। डॉक्टरी की शिक्षा पूरी करने के बाद हेडगेवार बंगाल की अनुशीलन समिति में भी शामिल हुए थे।


क्रांतिकारी गतिविधियां

बता दें कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को देश भर में क्रांतिकारी सामग्री और शस्त्र आदि के वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताया जाता है कि हेडगेवार ने अनुशीलन समिति के अनुभवों से ही संगठनात्मक क्षमता सीखी थी। लेकिन जल्द ही वह अनुशीलन समिति से दूर हो गए। तब उनको महसूस हुआ कि लोगों को क्रांतिकारी गतिविधियों के जरिए लोगों को जोड़ना काफी मुश्किल है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस से जुड़ने का निर्णय लिया। जिससे कि वह लोगों को देश की आजादी से जोड़ सकें।


RSS की स्थापना

साल 1925 को डॉ हेडगेवार ने दशहरे के दिन आरएसएस की स्थापना की। इस संघ की स्थापना का मुख्य लक्ष्य हिंदु समुदाय का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान था। जिसके माध्यम से एकीकृत भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त किया जा सके। जब कांग्रस ने साल 1929 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य अपनाया, तो हेडगेवार की खुशी का कोई ठिकाना न रहा। तब 26 जनवरी 1930 को ठीक कांग्रेस की तरह ही संघ ने भी स्वतंत्रता दिवस मनाया। स्वतंत्रता आंदोलन और हिदुंओं के जागरण का अपना काम और समर्पण डॉ हेडगेवार और उनके संघ ने अपने तरीकों से जारी रखा।


निधन

संघ ने देशसेवा और देश प्रेम का वही रास्ता अपनाया, जो डॉ हेडगेवार ने विरासत में दिया था। वहीं 21 जून 1940 को डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का निधन हो गया।

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