पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का दो कांग्रेसियों ने किया था विरोध, ऐसे हुई थी राजनीति में एंट्री

By अनुराग गुप्ता | Aug 20, 2022

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्हें भारत में कंप्यूटर क्रांति का जनक माना जाता है। राजीव गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे तथा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाती थे। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। ऐसे में चलिए हम आपको राजीव गांधी से जुड़े हुए कुछ रोचक किस्से बताते हैं।


जब इंदिरा की हुई थी हत्या

ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 30 अक्टूबर, 1984 को उनके सुरक्षा गार्ड बेअंत सिंह ने अपनी पिस्तौल से जबकि दूसरे सुरक्षा गार्ड सतवंत सिंह ने स्टेनगन से गोलियां दागी थी। इसके बाद दोनों सुरक्षा गार्डों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इंदिरा गांधी को एम्स ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसी वक्त विदेश से लौट रहे तत्कालीन राष्ट्रपति जैल सिंह का काफिला सीधे अस्पताल पहुंचा।

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वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी किताब 'एक जिंदगी काफी नहीं' में बताया कि इस घटना के दौरान राजीव गांधी कलकत्ता में थे और जैल सिंह ने विमान में ही यह फैसला कर लिया था कि वो राजीव गांधी को फौरन ही प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवा देंगे और कांग्रेस संसदीय दल द्वारा राजीव गांधी को अपना नेता चुने जाने की प्रतीक्षा नहीं करेंगे।


जैल सिंह और राजीव गांधी के दिल्ली पहुंचने से पहले ही कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने एक बैठक में राजीव गांधी के चयन पर अपनी मुहर लगा दी थी। लेकिन दो सदस्यों ने उस वक्त इसका थोड़ा विरोध किया था। उस वक्त प्रणब मुखर्जी चाहते थे कि संसदीय दल द्वारा राजीव गांधी को अपना नेता चुने जाने तक पार्टी के वरिष्ठतम सदस्य को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बना दिया जाए। वहीं दूसरी ओर अर्जुन सिंह राजीव गांधी के स्थान पर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे। हालांकि 1984 में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वह देश के सातवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री थे।


राजीव गांधी ने नवगठित सरकार में प्रणब मुखर्जी को शामिल नहीं किया था। हालांकि राजीव गांधी ने जल्द ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश चुनावों की ओर बढ़ गया।

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भाई की मृत्यु के बाद राजनीति में की थी एंट्री

आपको बता दें कि राजीव गांधी ने कैम्ब्रिज इंपीरियल कॉलेज लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद राजीव गांधी 1966 में स्वदेश लौट आए थे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रेनिंग ली और 1970 में इंडियन एयरलाइन के लिए बतौर पायलट काम करने लगे। राजनीति की बात की जाए तो राजीव गांधी ने 1980 में अपने भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना से हुई मृत्यु के बाद एंट्री की थी और 1981 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया था।


सहानुभूति लहर में बह गया विपक्ष

साल 1984 में लोकसभा चुनाव हुए। भारी जनादेश के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ। राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को 48 फीसदी वोट और 77 फीसदी सीटें प्राप्त हुईं। उस वक्त 545 सदस्यों वाली लोकसभा में 419 सीटें मिली थीं। यह वो समय था जब देश में इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानुभूति की लहर चल रही थी और इसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला। जबकि विपक्ष टिक नहीं पाया।


- अनुराग गुप्ता

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