Chandrashekhar Birth Anniversary: राजनीति में युवा तुर्क के नाम से मशहूर थे पूर्व पीएम चंद्रशेखर, रोलर-कोस्टर की तरह रहा सियासी सफर

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By अनन्या मिश्रा | Apr 17, 2025

Chandrashekhar Birth Anniversary: राजनीति में युवा तुर्क के नाम से मशहूर थे पूर्व पीएम चंद्रशेखर, रोलर-कोस्टर की तरह रहा सियासी सफर

युवा तुर्क के नाम से मशहूर पूर्व पीएम चंद्रशेखर का 17 अप्रैल को जन्म हुआ था। बता दें कि वह पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि भारत के 8वें प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर का आधी शताब्दी का राजनीतिक जीवन रोलर-कोस्टर की तरह रहा। लेकिन वह कभी भी राजनीतिक अस्पृश्यता और असहिष्णुता के फेर में नहीं रहे। उनको राजनीति का अजातशत्र कहा जाता था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

उत्तर प्रदेश के बलिया के इब्राहिमपट्टी में 17 अप्रैल 1927 चंद्रशेखर का जन्म हुआ था। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने सतीश चंद्र पीजी कॉलेज ग्रेजुएशन किया और फिर साल 1950 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मास्टर्स किया। चंद्रशेखर को उनके गर्म स्वभाव और क्रांतिकारी विचारों के लिए जाना जाता था। वह समाजवाद के मजबूत स्तंभ आचार्य नरेंद्रदेव के शिष्य थे। छात्र जीवन से ही वह समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे। छात्र राजनीति में चंद्रशेखर की पहचान फायरब्रैंड नेता के रूप में होती थी।


राजनीतिक सफऱ

बता दें कि चंद्रशेखर ने अपना राजनीतिक सफर राम मनोहर लोहिया के साथ शुरू किया था और बलिया उनकी कर्मभूमि रही। यहां से वह 8 बार सांसद रहे थे। वह एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने युवा साथियों के जरिए देश को समाजवादी दिशा में ले जाने का काम किया था। फिर वह जयप्रकाश नारायण के साथ आकर खड़े हो गए, जिसकी कीमत उनको जेल जाकर चुकानी पड़ी। हालांकि इसके बाद समाजवाद के प्रति उनकी धारण अधिक बढ़ गई।

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ऐसे बने प्रधानमंत्री

तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा में 400 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन राजीव गांधी की सरकार पर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा, जिसके चलते साल 1989 के चुनावों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और जनता दल की सरकार सत्ता में आई। फिर एक साल के अंतराल पर भाजपा के समर्थन वापस लेने की वजह से वीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। 


जिसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए और राजीव गांधी की जासूसी कराने के आरोप में 3 महीने बाद ही कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया। ऐसे में 21 जून 1991 को चंद्रशेखर को इस्तीफा देना पड़ा। भले ही उन्होंने 4 महीने के अंदर पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं इसके बाद देश में फिर से लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान हुआ। ऐसे में नई सरकार के बनने तक उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर कामकाज संभाला। इस तरह से वह 8 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे।


मृत्यु

सीधे-सरल स्‍वभाव वाले चंद्रशेखर ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। हालांकि पीएम के रूप में उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा। वहीं 08 जुलाई 2007 को चंद्रशेखर का निधन हो गया था।

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