By दिनेश शुक्ल | Sep 05, 2020
भोपाल। पूर्व नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रदेश की भोली-भाली और गरीब जनता को सड़े और पशुआहार में उपयोग वाले चावल को बांटे जाने के आपराधिक प्रकरण की जांच सी.बी.आई.से कराने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से दोबारा मांग की है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना काल को अवसर में बदलने जो घटिया काम गरीबों के साथ किया गया है उसकी शिकायत वे राष्ट्पति और प्रधानमंत्री से करेंगे। जनता के स्वास्थ्य के साथ किये गये इस खिलवाड़ के कारण प्रदेश की राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हुई है ।
अजय सिंह ने कहा इतने बड़े प्रकरण में केवल एक अधिकारी को सस्पेंड कर और अन्य से दो संविदा कर्मियों को नौकरी से निकालकर शिवराज सिंह ने लोगों की आंखों में धूल झोंकने का ही काम किया है । मैने पांच दिन पहले विगत 30 अगस्त को मीडिया के माध्यम से इस पूरे प्रकरण को उजागर करते हुए सी.बी.आई. जांच की मांग की थी । केन्द्र सरकार विगत 23 जुलाई से मध्य प्रदेश सरकार को लगातार लिख रही है कि गधे, घोड़ों, भेड़, बकरियों और मुर्गियों को खिलाने लायक इस चावल को बांटने पर तत्काल रोक लगाई जाये । आश्चर्य है कि शिवराज सिंह ने इस पत्र पर षडयंत्रपूर्वक कोई कार्यवाही नही की। उल्टे तथाकथित 37 लाख नये गरीबों को यह चावल बांटने के लिए समारोह पूर्व पर्ची बांटने के निर्देश सभी कलेक्टरों और पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर दिये है।
सिंह ने कहा कि यह प्रकरण केवल बालाघाट या मंडला का नहीं है । पूरे प्रदेश में यह चावल बांटने के लिए भेजा जाता है । सरकार हर साल लगभग 50 लाख क्विंटल धान का उपार्जन करती है । यह धान कटनी, मंडला, बालाघाट, सिवनी, आदि जिलों की मिलों में चांवल निकालने के लिए भेजा जाता है और उससे प्राप्त चांवल को प्रदेश के गरीबों में बांटा जाता है । लेकिन सरकार की मिलीभगत से अच्छा चांवल तो बाजार में बेच दिया गया और यू.पी.बिहार,आदि से रिसाइकिल्ड किया हुआ पशुओं के खाने वाला सस्ता चांवल खरीद कर उचित मूल्य की दुकानों में सप्लाई कर दिया गया। यह चावल धान से भी कम दर एक हजार रूपये प्रति क्विंटल पर मिल जाता है ।
उन्होने कहा कि जनता को धोखा देने वाले इस कृत्य में बहुत बड़े घपले की बू आ रही है। यह घपला व्यापम कांड,सिंहस्थ घोटाला, ई-टेंडर का घपला, डम्पर कांड, अवैध उत्खनन आदि घोटालों से बड़ा हो सकता है । इसलिए मै मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गरीब मजदूरों को बांटे गये घटिया चांवल कांड की सी.बी.आई. जांच की मांग दोहरा रहा हॅू ताकि राष्ट्रीय स्तर के इस प्रकरण की वास्तविकता सामने आ सके । मेरी यह भी मांग है कि जब तक जांच पूरी नही हो जाती तब तक 37 लाख नये गरीबों में चावल न बांटा जाये । केवल गेंहू - दाल का वितरण किया जाये ।