By प्रिया मिश्रा | Feb 07, 2022
वास्तु का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वास्तुशास्त्र में हर काम करने के लिए शुभ और अशुभ दिशाओं और नियमों का वर्णन है। वास्तु में कुछ दिशाओं को शुभ माना जाता है तो कुछ कामों के लिए कुछ दिशाएं अशुभ मानी गई हैं। वास्तुशास्त्र में दिए गए नियमों का पालन करके आप सफलता और सुख प्राप्त कर सकते हैं। आज के इस लेख में बताएंगे कि खाना खाते समय वास्तु के कौन से नियमों का पालन करना चाहिए। खाना खाते समय इन विशेष बातों का ध्यान रखने से ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपका स्वास्थ अच्छा रहेगा-
वास्तुशास्त्र में पूर्व और उत्तर दिशा को भोजन करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इन दोनों दिशाओं को ईश्वर का वास माना जाता है। पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके खाने से इश्वर की कृपा बनी रहती है, आयु बढ़ती है और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है इसलिए कभी भी दक्षिण की ओर मुँह करके खाना नहीं खाना चाहिए। इससे दुर्भाग्य बढ़ता है और स्वास्थ ख़राब होने का भय रहता है।
वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि घर में आए मेहमानों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बैठा का खाना खिलाएं और खुद पूर्व या उत्तर दिशा में मुँह करके खाएं।
डाइनिंग टेबल को दक्षिण या पश्चिम की दीवार की तरफ रखें।
वास्तुशास्त्र के अनुसार गीले पैरों के साथ भोजन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है आयु बढ़ती है।
कभी भी टूटे या गंदे बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए, इससे दुर्भाग्य बढ़ता है और जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कभी भी बिस्तर पर बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए और ना ही थाली को हाथ में उठाकर खाएं। वास्तुशास्त्र में इसे अशुभ माना गया है।
हमेशा ज़मीन पर बैठकर और पालथी मार कर खाना खाएं। खाने की थाली को हमेशा अपने बैठने के स्थान से ऊपर रखें इससे अन्नपूर्णा को आदर और कभी भी खाने की कमी नहीं होती है।
खाना खाने के बाद डाइनिंग टेबल से सारे जूठे बर्तन हटा लेने चाहिए और टेबल को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
खाने की टेबल पर हमेशा कोई खाने की वास्तु रखी रहने दें, इससे कभी भी खाने की कमी नहीं होगी।
खाना खाने से पहले हमेशा भगवान को भोग लगाएं और खाते समय ना बात करें और ना ही कोई काम करें।
- प्रिया मिश्रा